H1B Visa: अमेरिका जाने का ज्यादातर भारतीयों का सपना होता है. ऐसे में यूएस और इंडिया में H1B वीजा हमेशा से ही चर्चा का विषय रहा है. आपको बता दें कि H1B की मदद से भारतीयों के लिए यूस जाना और वहां रहना बहुत ही आसान हो जाता है.ऐसे में भारतीय यही चाहते हैं कि अमेरिका की ओर से H1B के नियमों में ढील मिले, ताकि यह वीजा मिलना आसान हो जाए. आज हम आपको विस्तार से बताएंगे कि H1B वीजा क्या  है और किसे मिलता है?


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जानिए क्या है H-1B वीजा
दुनिया के सभी देश अलग-अलग तरह के वीजा जारी करते हैं. ऐसे ही अमेरिका भी उन लोगों को H1B वीजा देता है, जो वहां काम करने के मकसद से जाते हैं. यह गैर प्रवासी वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियां अपने विदेशी कर्मचारियों को देती हैं.


यह वीजा इमीग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट की धारा 101 (A) (15) (H) के तहत जारी किया जाता है. इसकी शुरुआत साल 1990 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने की थी. इसकी वैलिडिटी तीन साल के लिए होती है, जिसे एक्सटेंड करवाकर 6 साल तक की जा सकती है.


ग्रीन कार्ड 
ऐसे लोग जो आगे अमेरिका में ही सैटल होना चाहते हैं तो उन्हें इस वीजा की वैलिडिटी खत्म होने के बाद अमेरिका की सिटीजनशिप के लिए अप्लाई करना पड़ता है. H1B वीजा के लिए कोई भी विदेशी रजिस्ट्रेशन कर सकता, जिसके बाद उसे ग्रीन कार्ड मिल जाता है. वहीं, जिनकी वीजा की अवधि पूरी हो जाती है, उन्हे ग्रीन कार्ड नहीं मिलता. एच-1बी वीजा होल्डर्स अपनी वाइफ और बच्चों के साथ यूएस में रह सकते हैं.


इसके लिए ये लोग कर सकते हैं अप्लाई
H1B वीजा पाने के लिए आवेदक के पास 12 साल का वर्क एक्सपीरियंस होना चाहिए. हालांकि, कुछ शर्तों के साथ इसमें छूट मिलती है. वहीं, जिस नौकरी के लिए आवेदक को बुलाया गया है, उसमें वह स्किल्ड  होना चाहिए. सालाना वेतन की भी लिमिट तय है. ऑनलाइन आवेदन की पूरी प्रक्रिया के बाद 2 इंटरव्यू शेड्यूल होते हैं, जिनमें से एक यूएस एंबेसी में होता है. सभी पात्रता पूरी होने के बाद ही H1B वीजा मिलता है.