नई दिल्ली : देश का इस्पात उत्पादन अगस्त में 1.7 प्रतिशत बढ़कर 70.2 लाख टन रहा। यह वैश्विक औसत से कहीं बेहतर है।


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विश्व इस्पात संघ के अनुसार, इस दौरान वैश्विक स्तर पर इस्पात उत्पादन औसतन 1.4 प्रतिशत बढ़कर 13.5 करोड़ टन रहा। देश का इस्पात उत्पादन बेहतर रहने की वजह यह है कि ज्यादातर प्रमुख कंपनियों ने माह के दौरान उंचा उत्पादन किया। वहीं दूसरी ओर वैश्विक उत्पादन की वृद्धि दर में सुस्ती की वजह यह है कि दुनिया के सबसे बड़े इस्पात उत्पादक चीन में उत्पादन कम रहा।


जुलाई में भी चीन का इस्पात उत्पादन मात्र डेढ़ प्रतिशत बढ़ा था। अगस्त में चीन का उत्पादन मात्र एक प्रतिशत बढ़कर 6.9 करोड़ टन रहा, जो अगस्त, 2013 में 6.82 करोड़ टन रहा था। हालांकि, यदि जनवरी से अगस्त की अवधि में वैश्विक इस्पात उत्पादन की बात की जाए, तो उत्पादन में बढ़ोतरी का वैश्विक औसत उत्पादन वृद्धि 2.4 प्रतिशत रही है, जो भारत के 1.8 प्रतिशत से कहीं बेहतर है।


इस साल के पहले आठ महीनों में वैश्विक स्तर पर इस्पात उत्पादन बढ़कर 109.6 करोड़ टन पर पहुंच गया, जबकि इस अवधि में भारत में 5.6 करोड़ टन का इस्पात उत्पादन हुआ। वहीं चीन का उत्पादन इस अवधि में 55 करोड़ टन रहा।


इस साल के पहले आठ महीनों के बाद वैश्विक स्तर पर इस्पात उत्पादन में भारत चौथे स्थान पर बना हुआ है। पहले स्थान पर चीन है। उसके बाद जापान व अमेरिका का नंबर आता है। पिछले चार साल से इस्पात उत्पादन में भारत चौथे स्थान पर कायम है।