रांची : केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि सारंडा में पहले से हालात बहुत बदले हैं लेकिन अभी भी वहां नक्सल समस्या से निपटने के लिए बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

राजनाथ सिंह ने आज सारंडा के जंगलों का दौरा करने के बाद यहां राजभवन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए यह बात कही। यह पूछे जाने पर कि केन्द्र की संप्रग सरकार के कार्यकाल में प्रारंभ किये गये ‘सारंडा एक्शन प्लान’ की क्या स्थिति है, सिंह ने कहा, ‘‘वहां अभी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।’’


पूर्व केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश की इस महत्वाकांक्षी योजना में योगदान को वह कितना महत्वपूर्ण मानते हैं, सिंह ने कहा, ‘‘राजनीति की बात यहां उचित नहीं है लेकिन काम हुआ था फिर भी अभी बहुत कुछ करना शेष है।’’ जयराम रमेश के समय में ही ‘सारंडा एक्शन प्लान’ की शुरुआत हुई थी और उन्होंने सारंडा का कई बार स्वयं दौरा किया था।


यद्यपि अपने प्रारंभिक वक्तव्य में राजनाथ सिंह ने स्वयं कहा, ‘‘माओवादी सारंडा को लिबरेटेड जोन मान चुके थे लेकिन आज वह स्थिति नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि केन्द्रीय बलों ने सारंडा में बहुत ही सराहनीय कार्य किया है और उन्होंने वहां की जनता से भी बहुत जबर्दस्त सामंजस्य बनाया है।


उन्होंने कहा कि सुरक्षा बल सारंडा में बहुत ही कठिन परिस्थितियों में रह रहे हैं जिसे देखकर उन्होंने नक्सल प्रभावित इलाकों में कार्य करने वाले केन्द्रीय बलों के जवानों को भी कश्मीर में तैनात बलों की भांति जोखिम भत्ता देने का फैसला किया है।


यह पूछे जाने पर कि अलग अलग राज्यों में माओवादियों के समर्पण के लिए अलग-अलग नीतियां क्यों हैं जिससे उनके आत्मसमर्पण कर मुख्य धारा में शामिल होने में समस्या आती है, सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार और राज्य सरकारें मिलकर ही आत्मसमर्पण की नीति बनाती हैं जिसके चलते विभिन्न राज्यों की समर्पण नीति और केन्द्र की नीति में कोई विवाद नहीं है।