ग्लास्गो : राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीतने के कुछ देर बाद ज्वाला गुट्टा ने भारत में युगल मैचों के प्रति भेदभाव की कड़ी आलोचना की और कहा कि देश में एकल खिलाड़ियों को अधिक तवज्जो दी जाती है। गुट्टा और उनकी जोड़ीदार अश्विनी अपने खिताब का बचाव करने में नाकाम रही और कल रात यहां महिला युगल फाइनल में मलेशिया की विवियन काह मुन हू और खेल वी वून से 17-21, 21-23 से हार गयी।


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गुट्टा ने कहा कि भारत में युगल प्रारूप को पर्याप्त सहयोग नहीं मिलने के कारण युवाओं को बैडमिंटन में युगल के लिये प्रोत्साहित करना मुश्किल है। उन्होंने कहा, हम पर काफी कुछ निर्भर करता है और हमने वह किया जिसका भारतीयों ने सपना भी नहीं देखा था। हमने कुछ नहीं मांगा लेकिन हम यह चाहते हैं कि हमारी उपलब्धियों को भी तवज्जो मिले। हमें इसके लिये पैसा नहीं मिलता और सरकार से मिलने वाली राशि ही सब कुछ होती है।  गुट्टा ने कहा, हम अपने जूनियर को युगल में खेलने के लिये प्रेरित करना चाहते हैं लेकिन वहां इसको कोई मान्यता नहीं दी जाती। हम अच्छा प्रदर्शन करना चाहते हैं और वह खेल खेलना चाहते हैं जिसे हम चाहते हैं। हम पैसे के लिये ऐसा नहीं करते क्योंकि बैडमिंटन में पुरस्कार राशि बहुत कम होती है।


गुट्टा ने कहा, यदि एकल खिलाड़ी को दस डॉलर मिलते हैं तो युगल खिलाड़ी को दो डॉलर ही दिये जाते हैं। यह भी ठीक है लेकिन भारत में हमें कुछ नहीं मिलता। हमने भारत के लिये महत्वपूर्ण मैच जीता था लेकिन हवाई अड्डे पर हमारी अगवानी करने के लिये कोई नहीं आया। दूसरी तरफ एकल खिलाड़ी जो हमारी उपलब्धि के करीब भी नहीं पहुंच पाया उसका हवाई अड्डे पर जोरदार स्वागत किया गया।


गुट्टा से पूछा गया कि क्या वह भविष्य में मिश्रित युगल में खेलेगी, उन्होंने कहा, नहीं मैं मिश्रित युगल में नहीं खेलना चाहती हूं। विशेषकर क्योंकि मेरे पास अच्छा जोड़ीदार नहीं है। भारत में मिश्रित युगल में समस्या है। युगल खिलाड़ियों पर ध्यान नहीं दिया जाता है और इसलिए कोई भी जूनियर खिलाड़ी इसे नहीं अपनाना चाहता है।