श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को कहा कि कुछ लोगों को राज्य से सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफ्स्पा) को हटाने के लिए कभी समय उचित नहीं लगेगा क्योंकि उन्हें यह कानून पसंद है।


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उमर ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘केंद्र के साथ इस मामले में बातचीत जारी है। पहले यह संप्रग सरकार के साथ चल रही थी और अब राजग सरकार के साथ। कुछ लोगों को कभी इसके लिए उचित समय नहीं लगेगा क्योंकि उन्हें यह कानून बहुत पसंद और प्रिय हैं।’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हम यहां बंदूकों को शत प्रतिशत भी शांत कर दें, तब भी उन्हें बहाने मिल जाएंगे और वे कहेंगे कि वक्त उचित नहीं है।’


उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि उचित समय के लिए उनके मानदंड क्या हैं। अगर वे उचित समय के लिए अपने मानदंड हमें बता दें तो हम उन मानकों को प्राप्त करने का प्रयास करेंगे।’ उमर के मुताबिक, ‘लेकिन जब भी हम उन्हें बताएंगे कि यह समय सही है तो वे कहेंगे कि इस साल नहीं, अगले साल। और फिर अगले साल भी वह वक्त आगे बढ़ा देंगे। मुझे उम्मीद है कि उनकी सोच बदले और प्रक्रिया (अफ्स्पा को हटाने की) शुरू हो।’


शिवसेना के एक सांसद द्वारा नई दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में एक मुस्लिम कर्मचारी को कथित तौर पर जबरन रोटी खिलाने की घटना पर उमर ने कहा कि ‘यह गुंडागर्दी है।’ उमर ने कहा, ‘अगर वे जानते थे कि कर्मचारी मुस्लिम था तो यह ज्यादा शर्मनाक बात है। और अगर वे नहीं भी जानते थे तब भी सांसदों की गुंडागर्दी अच्छी बात नहीं है। हमें चुनाव जीतने के बाद अपने व्यवहार से मिसाल पेश करनी चाहिए। और अगर हम देश की जनता के सामने इस तरह की मिसाल पेश कर रहे हैं तो मुझे लगता है कि यह बहुत शर्मनाक है।’


जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनावों के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वह 1996 के विधानसभा चुनावों को राज्य के इतिहास में सबसे कठिन मानते हैं। उन्होंने कहा, ‘उस वक्त के उग्रवाद और आज के उग्रवाद में बड़ा अंतर है। शायद इस बार के चुनाव कुछ लोगों के लिए राजनीतिक तौर पर मुश्किल हो सकते हैं लेकिन जहां तक प्रशासन और सुरक्षा की बात है तो मुझे लगता है कि हमारे लिए 1996 के चुनाव सबसे ज्यादा मुश्किल थे।’