Eye Colour Change:  क्या आंखों का रंग बदल सकता है. यह सवाल इसलिए अहम है क्योंकि 6 महीने के मासूम बच्चे को जब कोविड उपचार के लिए एंटीवायरल फेविरपीर दी गई तो उसकी आंखें भूरी से नीली हो गई. इस बदलाव से डॉक्टर भी हैरान हैं कि आखिर ऐसे कैसे हो सकता है. हालांकि इस तरह के कुछ केस पहले भी आ चुके हैं. आखिर इसके पीछे क्या वजह है. पहले फेविरपीर को समझने की जरूरत है.


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फेविरपीर का असर


फेविरपीर एंटीवायरल मेडिसिन है जिसकी मदद से अलग अलग तरह के वायरस को खत्म किया जाता है, इसका इस्तेमाल इंफ्लुएंजा और इबोला वायरस के इलाज में भी किया जाता है. यह वायरस के अलग अलग प्रकारों पर अंकुश लगाने की काम करता है. खासतौर से यह आरएनए पर काम करता है क्योंकि आरएनए अपने हमशक्ल का निर्माण करता है.2020 में जब कोरोना वायरस अपने चरम पर था उस वक्त चीन ने इसके इस्तेमाल की इजाजत दी थी. तब से इसका इस्तेमाल भारत, जापान और थाईलैंड में भी किया जा रहा है. इसके जरिए कोरोना के हल्के मामलों का इलाज होता है. 


चीन के साथ थाईलैंड,भारत में इस्तेमाल


अगर बात थाईलैंड की करें तो यहां पर कोविड का सामना कर रहे बच्चों में इसका उपयोग होता है. फेविरपीर के कुछ साइड इफेक्ट भी हैं जैसे डायरिया के साथ साथ अगर उपचार सही से ना हो तो यूरिक एसिड के साथ व्हाइट ब्लड सेल में इजाफा होता है. कुछ लोगों में मितली और किडनी में स्टोन की समस्या भी सामने आई है.इस तरह का पहला मामला साल 2021 में दिसंबर के महीने में  दर्ज किया गया था जब एक 20 साल के शख्स के कॉर्निया के रंग में बदलाव हो गया था. हालांकि इससे पहले गर्मियों के महीनों में डॉक्टरों ने बताया था कि एक शख्स ने शिकायत की थी कि फेविरपीर मेडिसिन लेने के बाद उसके आंखों में चमक बढ़ गई थी.