Mughal Dynasty: दारा शिकोह और औरंगजेब की लड़ाई मुगल इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज रहेगी. इतिहासकार बताते हैं कि दादा शिकोह को मौत के घाट उतारने से पहले औरंगजेब ने उसे फटे कपड़ों के साथ जंजीरों में जकड़ कर दिल्ली की सड़कों पर घुमाया था. दारा शिकोह के इस हश्र को देख दिल्ली की जनता की आंखों में आंसू आ गए थे. दारा शिकोह अपनी गलती की वजह से नहीं बल्कि अपने साथी के गद्दारी की वजह से औरंगजेब के हाथ लगा था. दारा के साथ गद्दारी करने वाले शख्स का नाम जीवन मलिक था जिसे दारा शिकोह के साथ गद्दारी के बदले में औरंगजेब ने हीरे जवाहरात से तौल दिया था.


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भतीजे को बना दिया दामाद


ज्यादातर लोगों को लगता है कि दारा शिकोह और औरंगजेब का किस्सा दारा की मौत के साथ खत्म हो गया था लेकिन ऐसा नहीं है. आपको बता दें कि औरंगजेब ने करीब आधे दशक तक भारत की सरजमीं पर शासन किया. इसके अलावा औरंगजेब के शासनकाल में मुगलों ने कई चीजें हासिल की. हालांकि कई लोग औरंगजेब को बेहद क्रूर और तानाशाह शासक का दर्जा देते हैं. यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि सत्ता के लालच में औरंगजेब में दारा शिकोह के साथ उसके बड़े बेटे को भी मौत के घाट उतरवा दिया था लेकिन औरंगजेब ने दारा के छोटे बेटे सिफिर शिकोह को जेल में भेज दिया था और आगे चलकर औरंगजेब ने सिफिर शिकोह की जान बख्श दी थी. इसके बाद सिफिर का निकाह अपनी बेटी जब्दातुन्निसा संग करा दिया था.


दारा की परछाई था सिफिर शिकोह


भाई और पिता की मौत को भुलाकर सिफिर ने औरंगजेब की बेटी संग शादी कबूल कर ली. यह शादी 9 फरवरी साल 1673 में बड़े ही धूमधाम से हुई थी. सिफिर शिकोह में अपने पिता की झलक देखने को मिलती है. सिफिर ने इस्लाम के सूफीवाद और हिंदू के वेदांत में समानता को तलाशने का भरसक प्रयास किया था. रॉयल कलेक्शन ट्रस्ट में सिफिर की एक तस्वीर से पता चलता है कि दारा शिकोह की तरह वो भी उदारवादी था. इस तस्वीर में सिफिर वीणा लिए हुए कालीन पर घुटनों के बल बैठा है और यह वीणा किसी हिंदू सन्यासी के वीणा से मेल खाती हैं.


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