Bengaluru School Case: बेंगलुरु के एक स्कूल पर छात्रों को फीस न देने पर उन्हें बंद करने का आरोप लगा है, जिससे छात्रों में मानसिक और भावनात्मक संकट उत्पन्न हुआ है. ऑर्किड इंटरनेशनल स्कूल पर यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने छात्रों को एक प्रकार की सजा देने के रूप में उन्हें बंद किया, जिससे उनके अभिभावक खासे नाराज हैं. उनका कहना है कि इस तरह की सजा से बच्चों की पढ़ाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.


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यह आरोप लगाया गया है कि स्कूल ने छात्रों को चेतावनी दी थी कि यदि वे इस मामले में औपचारिक शिकायत दर्ज कराते हैं, तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. इस मामले से जुड़ी रिपोर्ट्स के अनुसार, यह कोई एक घटना नहीं है, बल्कि कुछ अन्य प्राइवेट स्कूलों ने भी कथित तौर पर ऐसे सजा के उपायों का सहारा लिया है. इनमें से कुछ स्कूलों में फीस न देने, देर से आने या अनुशासनहीनता के कारण छात्रों को अंधेरे कमरों में बंद किया गया है. कुछ मामलों में छात्रों को कक्षा के समय अंधेरे लाइब्रेरी में भी बंद किया गया था.


इन आरोपों को लेकर कई अभिभावकों ने शिक्षा विभाग और बाल सुरक्षा विभाग से शिकायत की है. अभिभावकों ने स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है, जिसमें स्कूलों का लाइसेंस रद्द करना और उन्हें ब्लैकलिस्ट करना शामिल है. उनका कहना है कि इस तरह की सजा बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है और इन स्कूलों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.


शिक्षा विभाग का क्या कहना है?


शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों को फीस न देने पर छात्रों को परेशान करने से चेतावनी दी है. विभाग ने कहा कि इस तरह के कदम छात्रों की मानसिक स्थिति और पढ़ाई पर बुरा असर डाल सकते हैं. अभिभावकों को स्थानीय पुलिस थानों में ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट करने की सलाह दी गई है, और विभाग ने यह आश्वासन दिया है कि इस तरह की शिकायतों की पूरी जांच की जाएगी.


अगर आरोप सही पाए जाते हैं, तो संबंधित स्कूलों का परमिट रद्द किया जाएगा और उन्हें ब्लैकलिस्ट किया जाएगा. एशियानेट न्यूज़ के अनुसार, पिछले दो हफ्तों में छह छात्रों को कथित तौर पर एक अंधेरे कमरे में पूरे दिन के लिए बंद किया गया था, जिसमें न तो रोशनी थी और न ही किसी अन्य सुविधा का प्रावधान था.


स्कूल ने आरोपों को नकारा


न्यूज़18 डॉट कॉम ने ऑर्किड इंटरनेशनल स्कूल से इस मामले पर टिप्पणी के लिए संपर्क किया, लेकिन स्कूल ने इन आरोपों को खारिज किया और उन्हें बेबुनियाद बताया. हालांकि, उन्होंने यह आश्वासन दिया कि वे शहर के दूसरे शाखा से संवाद स्थापित करने में मदद करेंगे. हालांकि, अभी तक उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई है. इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर भी गुस्से की लहर दौड़ गई. एक व्यक्ति ने लिखा, “स्कूल प्रबंधन के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज होना चाहिए. यह घटना संवेदनशील किशोरों पर गहरा असर डालेगी."


एक अन्य ने लिखा, “मेरे साथ भी स्कूल में ऐसा कुछ हुआ था." तीसरे व्यक्ति ने कहा, “स्कूल के प्रशासन को जेल भेजा जाना चाहिए." एक चौथे ने सुझाव दिया, “स्कूल का नाम सामने लाओ और शर्मिंदा करो." उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारामैया को टैग करते हुए उनसे स्कूल के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की.