Weird Ritual: पिता कोमा में थे..उनके सामने ही अजीब रस्म निभाने लगे दूल्हा-दुल्हन, भड़के लोग
Chinese Wedding: यह सब तब हुआ जब दूल्हा-दुल्हन अस्पताल में अपने पिता को देखने पहुंचे थे. इनकी तस्वीरें जब सामने आई तो बहस छिड़ गई कि आखिर ऐसी कौन सी ऐसी रस्म है जो अस्पताल में पड़े पिता के सामने निभानी पड़ती है. इस पर मिलीजुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं.
Bride Groom In Hospital: अभी हाल ही में एक ऐसी खबर सामने आई जहां दुल्हन जब अपने ससुराल पहुंची तो उसे एक ऐसी रस्म निभानी पड़ी कि उसे पांच घंटे तक बाहर अकेले रहना पड़ा. इसी कड़ी में रस्मों को लेकर एक और मामला सामने आया है, जहां दूल्हा-दुल्हन शादी के बाद अपने पिता से मिलने पहुंचे तो वहां भी रस्म निभाने लगे. इस दौरान उनके पिता अस्पताल में कोमा में पड़े हुए थे.
दुल्हन को लेकर पिता से मिलने पहुंचा
दरअसल, यह घटना उत्तरी चीन के हुबेई प्रांत की है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक कुछ दिन पहले ही यह मामला सामने आया था. यहां एक शख्स अपनी दुल्हन को लेकर अपने पिता से मिलने पहुंचा. इन दोनों की नई-नई शादी हुई थी. उनके पिता अस्पताल के कोमा में थे. बताया गया कि उन्हें करीब छह महीने पहले ब्रेन हेमरेज हुआ था और इसके बाद से ही उनको होश नहीं आया.
पैकेट को पिता के हाथ से ले लिया
रिपोर्ट के मुताबिक, दुल्हन की हाथ में एक लाल पैकेट था. जैसे ही वे दोनों वहां पहुंचे, उस पैकेट को पिता के हाथ में रख दिया गया. चूंकि पिता की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही थी, इसलिए वह पैकेट कुछ देर तक पिता के हाथ में था और थोड़ी देर में दोनों कपल ने मिलकर उस पैकेट को पिता के हाथ से ले लिया. वे कुछ देर तक वहां खड़े रहे.
रस्म के पीछे दिया गया ये तर्क!
बताया गया कि जहां से यह लोग आते हैं, वहां स्थानीय रूप से यह रस्म निभाई जाती है कि शादी के बाद एक लाल पैकेट मैं कुछ चीजें दूल्हे के पिता की तरफ से नए कपल को दी जाती है. यह इसलिए दी जाती है ताकि उनका जीवन सुख और समृद्धि से भरा रहे. उनके वैवाहिक जीवन में किसी भी प्रकार की दिक्कत ना आने पाए.
स्टाफ ने दूल्हा-दुल्हन की मदद की
रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि ऐसा करने से पहले अस्पताल प्रशासन से अनुमति मांगी गई और अस्पताल के स्टाफ ने दूल्हा-दुल्हन की मदद भी की. तब जाकर वे ऐसा कर पाए. उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं तो लोग भड़क गए. लोगों का तर्क है कि रस्मों को इतना कठिन नहीं बनाना चाहिए कि ऐसी परिस्थिति में भी उसे निभाना ही पड़े.
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