Kinnar Funeral: किन्नर शब्द से आमतौर पर हम सभी वाकिफ हैं. आदमी और औरत की तरह ही यह भी एक तरह का समुदाय है जो न ही स्त्री होता है और न ही पुरुष होता है. इन्हें ट्रांसजेंडर के तौर पर भी पहचान मिली हुई है, कुछ लोग इन्हें थर्ड जेंडर भी कहते हैं. किन्नरों की जिंदगी आम हो भी जाए लेकिन मौत के समय उनका अंतिम संस्कार आम जनों से बिल्कुल अलग होता है. किन्नर समुदाय में जब किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है तब उसकी लाश को जूते चप्पल मारे जाते हैं और किन्नर के दूसरे साथी उसकी मौत का जश्न मनाते हैं. आइए जानते हैं किन्नर समुदाय में ऐसी प्रथा क्यों है?


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देर रात होता है अंतिम संस्कार


कई लोग मानते हैं कि किन्नरों के पास एक विषेश शक्ति होती है जिनसे उनको अपनी मौत का अंदाजा पहले ही लग जाता है. इस दौरान वह बाकी लोगों से अपने आप को दूर कर लेते हैं, कहीं आना-जाना भी बंद कर देते हैं और खाना पीना भी छोड़ देते हैं. आपको बता दें कि किन्नरों को जलाया नहीं जाता बल्कि उन्हें दफनाया जाता है और इस दौरान उसके दूसरे साथी यह दुआ करते हैं कि वह वापस किन्नर समाज में कभी पैदा न हो. किन्नरों का अंतिम संस्कार अक्सर देर रात के वक्त किया जाता है.


इसलिए मनाते हैं जश्न


आपको जानकर हैरानी होगी जब उनकी शवयात्रा निकलती है. तब उनके शव को जूते-चप्पलों से मारा जाता है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि फिर से वो किन्नर शरीर को धारण करें. इसके बाद सभी किन्नर साथी अपने आराध्य देव से दुआ मांगते हैं कि वापस से उनका साथी किन्नर रूप में न जन्म लें. अंतिम संस्कार की क्रिया खत्म होने के बाद बाकी किन्नर साथी 1 हफ्ते तक भूखे रहते हैं. किन्नर के मौत के बाद उसके साथी इसलिए जश्न मनाते हैं क्योंकि किन्नरों की जिंदगी को नर्क के समान माना गया है और ऐसा माना जाता है कि मौत के बाद उनके साथी को मुक्ति मिल जाती है.


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