इंसानों का चिड़ियाघर: काले इंसानों को पिंजरे में रखते थे गोरे व रईस लोग, देखने के लिए लगते थे टिकट
Black Human In Cages: यूरोप के श्वेत नागरिकों को विभिन्न जातीय समूहों के लोगों को पिंजरों में प्रदर्शित होते हुए देखने का मौका मिलता था. यह एक तरह का मनोरंजन था, जहां लोगों को व्यापार मेलों में जानवरों के चिड़ियाघरों की तरह प्रदर्शित किया जाता था.
Human Zoo: मानवता के इतिहास में कई काले अध्याय हैं, जिनमें ट्रांस-अटलांटिक दास व्यापार, होलोकॉस्ट और परमाणु बम गिराने जैसी घटनाएं शामिल हैं. हालांकि, इन घटनाओं को आम तौर पर एक चेतावनी के रूप में याद रखा जाता है, लेकिन एक और काला अध्याय है जिसे बहुत कम लोग जानते हैं - वह है 'ह्यूमन जू' या यूं कहे इंसानों का चिड़ियाघर.
19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी के शुरुआती दशकों में, यूरोप के श्वेत नागरिकों को विभिन्न जातीय समूहों के लोगों को पिंजरों में प्रदर्शित होते हुए देखने का मौका मिलता था. यह एक तरह का मनोरंजन था, जहां लोगों को व्यापार मेलों में जानवरों के चिड़ियाघरों की तरह प्रदर्शित किया जाता था. यह एक गहरी शर्मनाक परंपरा थी, जिसमें अफ्रीका, एशिया और ओशिनिया से लाए गए लोगों को पिंजरे में बंद करके दिखाया जाता था.
यह भी पढ़ें: Weird Festival: एक ऐसा त्योहार जिसे सिर्फ मनाते हैं बच्चे, मंदिर जाकर मांगी जाती है ऐसी दुआएं
रेडिट पोस्ट इंटरनेट पर हुआ वायरल
हाल ही में एक Reddit पोस्ट वायरल हुआ, जिसमें 1905 में पेरिस के एक 'ह्यूमन जू' की तस्वीर दिखाई गई. इस तस्वीर में श्वेत उच्च वर्ग के लोग काले रंग के व्यक्तियों को घेरकर देख रहे हैं, जो संभवतः अफ्रीका से लाए गए थे. यह तस्वीर देखकर नेटिजन्स ने ताज्जुब जताया और इस uncivilized इतिहास के बारे में अपनी प्रतिक्रियाएं दीं.
एक यूजर ने लिखा, "यह देख कर हमेशा हैरान हो जाता हूं कि यह घटनाएं कितनी हाल ही में हुई हैं." दूसरे यूजर ने कहा, "मैं सच में समझ नहीं पाता कि यह कैसे हो सकता था. क्या सहानुभूति 1900 के दशक के अंत में इजाद हुई थी?" एक अन्य यूजर ने लिखा, "1958? क्या वे किसी पुराने आदमी को कुर्सी पर बैठा कर टीवी देखते हुए दिखा रहे थे? यह विश्वास करना मुश्किल है कि ऐसी कोई चीज उस समय भी हो सकती थी."
ह्यूमन जू का इतिहास
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, मानवों के चिड़ियाघर की शुरुआत एक आश्चर्यजनक जिज्ञासा से हुई थी, जो प्रायः उपनिवेशवादियों द्वारा देखी जाती थी. लेकिन यह जल्दी ही मध्य 1800s में एक प्सूडो-साइंस के रूप में विकसित हो गया, जब शोधकर्ताओं ने नस्लों के सिद्धांत को परखने के लिए मानवों को प्रदर्शित करना शुरू किया. उपनिवेशी काल के चरम पर, सैकड़ों हजारों लोग इन मानव चिड़ियाघरों में गए, जो बड़े अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों का हिस्सा होते थे और मानवता की 'खोज' को संतुष्ट करते थे.
यह भी पढ़ें: पहली बार आई जेल के अंदर की खौफनाक तस्वीरें, कैदियों को दी जाती हैं ऐसी यातनाएं; कांप जाएं रूह
किंग लियोपोल्ड और मानव चिड़ियाघर
बेल्जियम के किंग लियोपोल्ड द्वितीय ने 1897 में टर्वूरन में एक उपनिवेशीय प्रदर्शनी के लिए लगभग 267 पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को लाकर दिखाया था. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, छह कांगोली पुरुषों और एक महिला की जान चली गई क्योंकि उन्हें बाहर रखने के कारण फ्लू और निमोनिया से संक्रमित हो गए थे. इन लोगों की कब्र आज भी टर्वूरन के एक चर्च के पास स्थित है.
पेरिस के पास एक मानव चिड़ियाघर
फ्रांस की राजधानी पेरिस के बाहर एक पार्क है, जिसे Jardin d'Agronomie Tropicale कहा जाता है, जहां एक समय में मानव चिड़ियाघर था. यहां श्वेत पर्यटक आते थे और अफ्रीका, एशिया और ओशिनिया से लाए गए 'अजनबी' लोगों को देखते थे. आज यह पार्क एक अजीब सा स्थान बन चुका है, लेकिन इस पार्क की संरचनाओं में पुराने समय की नस्लवादी इतिहास की छाया आज भी देखी जा सकती है.