First toilet in indian railways: देश में बुलेट ट्रेन चलाने को लेकर अक्सर खबरें आती रहती हैं. बता दें कि जिस तरह से आज हम भारतीय रेलवे के देखते हैं सालों पहले यह ऐसी बिलकुल नहीं थी. भारत की पहली यात्री ट्रेन 16 अप्रैल साल 1853 को बाम्बे (मुंबई) से ठाणे के बीच चली थी लेकिन इस समय ट्रेनों में टॉयलेट की सुविधा नहीं थी. शौचालय न होने की वजह से इसमें यात्रा करने वालों को काफी दिक्कतों को समाना करना पड़ता था. करीब 55 साल तक भारतीय रेल बिना शौचालय अपनी पटरियों पर दौड़ती रही लेकिन ओखिल चंद्र सेन नाम के एक शख्स की शिकायत पर ट्रेनों में शौचालय की शुरुआत की गई.


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ये है शौचालय शुरू होने की कहानी


आपको बता दें कि भारत की ट्रेनों में साल 1909 में शौचालय की शुरुआत की गई थी. इससे पहले इनमें सफर करने वाले यात्रियों को टॉयलेट की सुविधा केवल स्टेशनों पर ही मिलती थी. एक बार ओखिल चंद्र सेन नाम के व्यक्ति ट्रेन में सफर कर रहे थे, वो स्टेशन पर टॉयलेट का इस्तेमाल करने के लिए रूकें और इस दौरान उनकी ट्रेन छूट गई. इसके बाद ओखिल चंद्र सेन ने पंश्चिम बंगाल के साबिहगंज मंडल कार्यालय को एक पत्र लिखा और ट्रेनों में शौचालय बनाने का  अनुरोध किया. इसके बाद रेलवे के अधिकारियों में 50 मील से ज्यादा दूरी तय करने वाली ट्रेनों में शौचायल बनाने की कवायद शुरू की थी. 


रेलवे म्यूजियम में आज भी रखा है वह लेटर


ओखिल चंद्र सेन का लिखा हुआ वो लेटर आज भी दिल्ली के रेलवे म्यूजियम में रखा हुआ है. आपको बता दें कि अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारतीय रेल दुनिया का सबसे चौथा बड़ा रेल नेटवर्क है. गौरतलब है कि दुनिया का सबसे लंबा रेलवे प्लेटफॉर्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में है. आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन उत्तर प्रदेश के लखनऊ का चारबाग रेलवे स्टेशन को सबसे व्यस्त स्टेशन कहा जाता है.


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