Trending News: जंगलों और पेड़-पौधों की कटाई के साथ पक्षियों के घर भी टूट गये हैं. मौसम में बदलाव के दौरान पक्षी एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर प्रवास करते हैं. जबकि सुबह के समय आपमें से कुछ लोग सूरज की किरणों और पक्षियों के चहचहाने की आवाज के साथ जाग सकते हैं. लेकिन लक्ष्मीनारायण रेड्डी के घर में यह रोजमर्रा की बात है. आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में कृष्णा कॉलेज के पास रहने वाले लक्ष्मीनयन अपनी छत पर सैकड़ों तोते देखते हैं. पिछले 15 सालों से ये तोते हर दिन उनके घर आते हैं.


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पिछले 15 सालों से लगातार तोतों को खिला रहे खाना


लक्ष्मीनारायण दिन में तीन बार सुबह, दोपहर और शाम को भोजन देते रहे हैं. न केवल तोते बल्कि कबूतर भी भोजन और पानी के लिए इस छत पर आते हैं. इसकी शुरुआत उन्होंने अपनी छत पर पौधे उगाने से की और कुछ तोतों के आने के बाद वह समूहों में आने लगे. इतना ही नहीं, अन्य पक्षी भी हर दिन सैकड़ों की संख्या में झुंड बनाकर लक्ष्मीनारायण के घर आ पहुंचते हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, लक्ष्मीनारायण दिन में तीन बार छत साफ करते हैं और चारों ओर चावल के दाने छिड़कते हैं. वह पहले सुबह 6 बजे, फिर दोपहर 1 बजे और शाम 4 बजे सफाई करते हैं. उन्होंने बताया कि शुरू में तोते ही थे लेकिन फिर कबूतर भी आने लगे जिससे उन्हें खुशी हुई.


राजस्थान में भी किया जाता रहा है ऐसा


देश के कई हिस्सों में लोग पक्षियों के लिए घर बनाते हैं और फिर उनके लिए दाना-पानी का इंतजाम करते हैं. तोते अब तेलंगाना का राज्य पक्षी है. ऐसा ही कुछ होता है राजस्थान की राजधानी जयपुर के खेड़ापति बालाजी मंदिर में, जो तोतों को दाना खिलाने की अनोखी परंपरा के लिए जाना जाता है. यह प्रथा लगभग पांच दशकों से चली आ रही है, जिससे लाखों तोते रोजाना दाना चुगने के लिए आते हैं. चाहे बरसात हो या सबसे गर्म दिन, इन पक्षियों को हर दिन सुबह 5:30 बजे खाना खिलाया जाता है. यहां तक कि कोरोना महामारी के दौरान भी दाना-पानी दिया.