Nawab Wajid Ali Shah: अवध के नवाब वाजिद अली शाह से जुड़े ऐसे कई किस्से हैं जिनके बारे में जानकर लोग हैरत में पड़ जाते हैं. इनके बेटे का नाम बिरजिस कद्र था जो अवध के आखिरी नवाब थे. नवाब वाजिद अली शाह को संगीत में बेहद ही ज्यादा रुचि थी. वह अपने दरबार में अक्सर संगीत का कार्यक्रम रखते थे और उन्हें 'ठुमरी' संगीत विधा के जन्मदाता के रूप में भी जाना जाता है. कत्थक नृत्य के साथ ठुमरी को गाया जाता था. संगीत को लेकर नवाज वाजिद अली शाह के कई सारे किस्से हैं. उन्होंने कई सारी ठुमरिया रचीं, लेकिन एक किस्सा काफी मशहूर है. नवाब अपने दरबार में होली का उत्सव भी मनाते थे. उन्होंने अपने राज में कई राग, नज्में और गजलें गढ़ी.


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अंग्रेजों ने अवध पर किया कब्जा और नवाब को किया निष्कासित


जब अंग्रेजों ने अवध पर कब्जा कि तो नवाब वाजिद को देश से निष्कासित करने का फैसला किया. कहते हैं कि नवाब वाजिद जब अपनी रियासत को अलविदा कह रहे थे तो उस वक्त "बाबुल मोरा नैहर छूटो जाय" ठुमरी गाया था. वह आशावादी था कि वह उसे यह समझाने में सक्षम होगा कि उसके राज्य का विलय गलत और अनुचित था और उसे वापस अवध बुला लिया जाएगा. इस बारे में जब लंदन में बातचीत चल रही थी, तब 1857 में स्वतंत्रता का पहला युद्ध छिड़ गया और अंग्रेजों ने शाह को 26 महीने के लिए फोर्ट विलियम के अंदर एमहर्स्ट हाउस में नजरबंद कर दिया. 


वहां से नवाब वाजिद चले गए कोलकाता


अपनी रिहाई के बाद, नवाब वाजिद अली शाह ने कोलकाता में रहने का फैसला किया और मेटियाबुर्ज को चुना क्योंकि हुगली नदी की हलचल ने उन्हें लखनऊ में गोमती की याद दिला दी और उनके टूटे दिल को कुछ सांत्वना दी. यह जानकर उनके हजारों वफादार कोलकाता चले गए. उनकी प्रतिभा और कलात्मक सोच ने उन्हें थोड़े समय के भीतर सफलतापूर्वक एक विचित्र शहर बनाने में मदद की, जो रॉयल्टी और बड़प्पन के साजो-सामान से परिपूर्ण मिनी-लखनऊ में तब्दील हो गया. नवाब अली शाह कोलकाता में 31 साल तक रहे और इस महानगर पर अपनी अमिट छाप छोड़ी, जो आज भी जीवंत है.


नवाब की 300 बीवियां थी, जिनमें से कुछ को तलाक भी दिया


वह बेहद ही आलसी नवाब कहलाते थे और उन्हें अपने खजाने की बिल्कुल भी फिक्र नहीं थी. वह इतने ज्यादा आलसी थे कि जब ईस्ट इंडिया कंपनी के सिपाही गिरफ्तार करने के लिए पहुंचे तो वह किसी सेवादार का इंतजार करते रहे कि कोई आकर उन्हें जूते पहनाए तो वह अपनी जगह से भागें. अपने रसिकमिजाज के लिए पहचाने जाते थे. कहा जाता है कि नवाब वाजिद अली की 300 बीवियां थीं और हुगली के मटियाबुर्ज में रहते वक्त एक साथ 27 बेगमों को तलाक दे दिया था.