Bijanaur: उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में गौरैया वाली एक हवेली है जो पूरे प्रदेश में बहुत मशहूर है. इस हवेली में करीब डेढ़ हजार गौरैया रहती हैं. यहां पर वर्तमान में 1000 घोसले हैं. जो भी इस हवेली की देख-रेख करता है उससे शर्त रखी जाती है कि वह गौरैया के घोसलों को यहां से नहीं हटाएंगे जो भी पुस्ते इस हवेली को संभालती है वह गौरैया का विशेष ध्यान रखती हैं. एक तरफ गौरैया की आबादी तेजी से घट रही है तो वहीं बिजनौर के शेखों की हवेली में गौरैया तेजी के साथ बढ़ रही हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

गौरैया को सुरक्षित रखने की दी कसम
परिवार के सबसे बुजुर्ग अकबर शेख ने इस 300 साल पुरानी हवेली के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि 23 साल पहले उन्होंने अपने बड़े बेटे शेख जमाल को ये हवेली सुपुर्द कर दी थी. उससे पहले उनकाे कसम दी गई थी कि हवेली के अंदर उसके स्ट्रक्चर से कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी ना ही गौरैया को विस्थापित किया जाएगा. ये परंपरा शेखों में पीढ़ियों से चली आ रही है और जो भी इस हवेली में आता है वह इस परंपरा को बड़ी सादगी के साथ और इमानदारी से निभाता है.


गौरैया वालों की हवेली
शेखों की इस हवेली को अब लोग गौरैया वालों की हवेली के नाम से जानते हैं. वन विभाग की मानें तो इस हवेली में डेढ़ से दो हजार तक गौरैया रहती है. जमाल के मुताबिक उनके पिता अकबर शेख के 6 बेटे थे. तीन की जल्दी मौत हो गई थी. जमाल को हवेली की देखरेख की जिम्मेदारी मिल गई. इसके साथ चिड़ियों की देखरेख की जिम्मेदारी भी मिली. हाल में जमाल की तबीयत खराब हो गई थी. जिसके चलते ये जिम्मेदारी 22 साल के बेटे शेख फराज को दी गई है.


चिड़ियों से मोहब्बत देख फराज की बेगम हुई थी फिदा
फराज ने बताया कि चिड़ियों से मोहब्बत देखकर उनकी बेगम वानिया सिद्दीकी उन पर फिदा हो गई थी. इसके बाद दोनों ने शादी कर ली. फारेस्ट के अधिकारी भी इस परिवार की काफी प्रशंसा करते हैं.


हिंदी ख़बरों के लिए भारत की पहली पसंद ZeeHindi.com - सबसे पहले, सबसे आगे