Ajab Gajab News: भारत में लाखों मंदिर (Temple) हैं. इसमें से कई मंदिरों का रहस्य (Secrets of Temples) आज तक सुलझ नहीं पाया है. ऐसा ही एक मंदिर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ (Pithoragarh) में स्थित है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसकी गुफा में दुनिया के खत्म होने का राज (Secret of the end of the world) छिपा हुआ है. हालांकि इसकी असलियत के बारे में कोई नहीं जानता है.


गुफा में छिपा है दुनिया के खत्म होने का राज


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उत्तराखंड (Uttarakhand) के पिथौरागढ़ जिले में स्थित इस गुफा का नाम पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर (Patal bhuvaneshwar temple) है. इस गुफा का जिक्र हिंदू धर्म के पुराणों में भी मिलता है. मान्यता है कि इसी गुफा के गर्भ में पूरी दुनिया के खत्म होने का रहस्य छिपा है. गुफा में एक मंदिर भी है. इस मंदिर को भी रहस्यमयी माना जाता है. मंदिर के भीतर जाने के लिए गुफा से ही जाना पड़ता है. जिसके लिए बेहद पतले रास्ते से गुजरना पड़ता है. 


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समुद्र तल से 90 फीट गहरा है यह मंदिर


इस गुफा की समुद्र तल से गहराई 90 फीट है. जब आप गुफा में प्रवेश कर मंदिर की ओर बढ़ेंगे तो आपको यहां की चट्टानों की कलाकृति हाथी के जैसी दिखेगी. इसके बाद नागों के राजा अधिशेष की कलाकृति भी इसके चट्टानों में दिखेगी. मान्यता है कि नागों के राजा अधिशेष ने ही दुनिया का भार अपने सिर पर संभाल रखा है.


मंदिर में मौजूद हैं चार द्वार


इस मंदिर में चार द्वार मौजूद हैं. पुराणों के अनुसार, इसमें से एक रणद्वार, दूसरा पापद्वार, तीसरा धर्मद्वार और चौथा मोक्षद्वार है. मान्यता है कि रावण की जब मृत्यु हुई थी, तब पापद्वार का दरवाजा बंद हो गया था. वहीं कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद पहले द्वार यानि रणद्वार को भी बंद कर दिया गया था. स्कंदपुराण में लिखा गया है कि पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर में भगवान शिव निवास करते हैं. यहां सारे देवी-देवता भगवान शिव की पूजा करने आते हैं.


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पुराणों के अनुसार, सूर्य वंश के राजा ने इस मंदिर की खोज की थी. सूर्य वंश के राजा ऋतुपर्णा थे. जिनका अयोध्या पर त्रेता युग में शासन था. ऋतुपर्णा की नागों के राजा अधिशेष से यहीं पर मुलाकात हुई थी. मान्यता है कि राजा ऋतुपर्णा को इस गुफा के अंदर नागों के राजा अधिशेष लेकर गए थे. फिर उन्हें भगवान शिव तथा अन्य देवी-देवताओं के दर्शन प्राप्त हुए थे. बाद में द्वापर युग में पांडवों ने इस गुफा की खोज की थी. पांडव इस गुफा में भगवान शिव की पूजा करते थे.


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