600 साल पुरानी मस्जिद को बिना तोड़े 2 KM किया गया था शिफ्ट, `जुगाड़` देख लोग रह गए दंग
Turkey Mosque Shifting Jugaad: कहीं पर कोई बड़ी इमारत हो और आप अगली सुबह सोकर उठें तो वह इमारत दो किलोमीटर दूर चली जाए. ऐसा देखकर आपकी आंखें खुली की खुली रह जाएंगी. ऐसा ही कुछ हुआ था तुर्की में, जब एक विश्व प्रसिद्ध मस्जिद रातों-रात दो किमी दूर चली गई थी.
देसी जुगाड़ से दो किमी दूर शिफ्ट हुई मस्जिद
आप सोच रहे होंगे कि ऐसे कैसे कोई मस्जिद रातों-रात दो किमी दूर जा सकती है! दरअसल, उस मस्जिद को बिना तोड़े अपनी जगह से दो किमी दूर शिफ्ट किया गया था. इसकी शिफ्टिंग देखकर दुनियाभर के वैज्ञानिक हैरान रह गए थे. सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि इसे 'देसी जुगाड़' लगाकर दो किमी दूर शिफ्ट किया गया था. मस्जिद को शिफ्ट करने के लिए पहियों वाली गाड़ी का इस्तेमाल किया गया था.
15वीं शताब्दी में बनी थी मस्जिद
तुर्की में स्थित यह ऐतिहासिक मस्जिद 15वीं शताब्दी में बनकर तैयार हुई थी. इस ऐतिहासिक मस्जिद का नाम एय्यूबी मस्जिद है. 'देसी जुगाड़' की मदद से इस 4600 टन वजनी मस्जिद को दो किमी दूर दूसरी जगह शिफ्ट किया गया था. मस्जिद को तोड़ा नहीं गया था बल्कि इसे तीन भागों में बांटा गया था.
300 पहियों की गाड़ी का हुआ था इस्तेमाल
इस मस्जिद को अपनी जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए सबसे पहले इसे तीन भागों में बांटा गया था. इसके बाद 300 पहियों की एक बड़ी सी गाड़ी पर इन टुकड़ों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया गया था. मस्जिद को सड़क के रास्ते दूसरी जगह पहुंचाया गया था.
शिफ्ट करने की ये थी वजह
इस ऐतिहासिक मस्जिद को दो किमी दूर शिफ्ट करने की वजह बहुत अनोखी थी. दरअसल, मस्जिद की मूल जगह पर देश का चौथा सबसे बड़ा डैम बनाने की योजना थी. इलिसु नामक इस डैम के बनने के बाद तुर्की का ऐतिहासिक हसनकेफ शहर पानी में डूब जाता. इसी शहर में यह मस्जिद थी. इस मस्जिद को डूबने से बचाने के लिए इसे दूसरी जगह शिफ्ट किया गया था.
मस्जिद को कल्चरल पार्क में किया गया शिफ्ट
हसनकेफ शहर तुर्की का बहुत ही प्राचीन शहर है. यह 12 हजार साल पुराना है. इसे साल 1981 में संरक्षित घोषित किया गया था. इस शहर में बहुत सारी ऐतिहासिक इमारतें हैं. मस्जिद के साथ इन इमारतों को भी हसनकेफ कल्चरल पार्क में शिफ्ट किया गया है.
टिग्रिस नदी के किनारे बसाई गई मस्जिद
इस ऐतिहासिक मस्जिद को टिग्रिस नदी के किनारे बसाया गया है. यहां तीनों टुकड़ों को जोड़कर मस्जिद को फिर से खड़ा कर दिया गया है. आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि इतने वजनी मस्जिद को विस्थापित करने के दौरान उसे कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा था.