Teachers Day पर ऐसी 5 खास बातें जिसे हर भारतीय को जानना जरूरी, पढ़कर सोच में पड़ जाएंगे आप

Teachers Day 2022: भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr Sarvepalli Radhakrishnan) की जयंती मनाने के लिए भारत राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाता है, जिनका जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था. यह दिन एक विद्वान और दार्शनिक के रूप में उनके योगदान और उपलब्धियों के लिए एक श्रद्धांजलि है. पहला शिक्षक दिवस 1962 में डॉ राधाकृष्णन के 77वें जन्मदिन पर मनाया गया था. एक गरीब तेलुगु ब्राह्मण परिवार में जन्मे, उन्होंने छात्रवृत्ति के माध्यम से अपनी शिक्षा पूरी की. वह सभी के लिए शिक्षा में एक सच्चे आस्तिक थे और उनके सभी योगदानों के बावजूद, वे जीवन भर शिक्षक बने रहे. चलिए हम आपको कुछ रोचक फैक्ट्स बताते हैं.

ज़ी न्यूज़ डेस्क Mon, 05 Sep 2022-8:27 am,
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5 सितंबर को क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस

भारत में हर साल 5 सितंबर को भारत के राष्ट्रपति बेहतरीन शिक्षकों को उनके योगदान के लिए प्रोत्साहित करने और उनकी सराहना करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्रदान करते हैं. वहीं, विश्व शिक्षक दिवस 7 सितंबर को मनाया जाता है. हालांकि, शिक्षक दिवस अलग-अलग देशों द्वारा अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है. 

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चीन-अमेरिका में इस दिन मनाया जाता टीचर्स डे

चीन में शिक्षक दिवस 11 सितंबर को मनाया जाता है. जबकि सिंगापुर में शिक्षक दिवस सितंबर के पहले शुक्रवार को मनाया जाता है. यहां शिक्षक दिवस को राष्ट्रीय अवकाश माना जाता है. अमेरिका में, शिक्षक दिवस मई के पहले मंगलवार को मनाया जाता है.

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डॉ. सर्वपल्ली ने फिलॉसिफी से की थी मास्टर डिग्री

उनके पास दर्शनशास्त्र में मास्टर डिग्री थी और उन्होंने द फिलॉसफी ऑफ रवींद्रनाथ टैगोर, रेन ऑफ रिलिजन इन कंटेम्पररी फिलॉसफी, द हिंदू व्यू ऑफ लाइफ, एन आइडियलिस्ट व्यू ऑफ लाइफ, कल्कि ऑर फ्यूचर ऑफ सिविलाइजेशन, द रिलिजन वी नीड, गौतम द बुद्ध, भारत और चीन जैसी कई अन्य किताबें लिखीं.

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किन विश्वविद्यालयों के साथ किया काम?

डॉ. सर्वपल्ली ने चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज और कलकत्ता विश्वविद्यालय में पढ़ाया. उन्होंने 1931 से 1936 तक आंध्र विश्वविद्यालय के कुलपति और 1939 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कुलपति के रूप में भी कार्य किया.

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डॉ. राधाकृष्णन को बांग्लादेश में भी मानते हैं लोग

राधाकृष्णन का दृष्टिकोण भारत और बांग्लादेश के महानतम शिक्षकों को सम्मान देना था. उन्हें 1954 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. डॉ. राधाकृष्णन का मानना था कि शिक्षकों को देश में सबसे अच्छा दिमाग होना चाहिए.

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