यहां हाथी के लिए यूं बनाया जाता है ब्रेकफास्ट, किचन में लगते हैं इतने सारे लोग; तस्वीरों ने चौंकाया

Elephant Breakfast: रोजाना सुबह-सुबह हम हेल्दी ब्रेकफास्ट करके काम पर जाना पसंद करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि जानवरों के लिए ब्रेकफास्ट तैयार किया जाता है. जी हां, तमिलनाडु में हाथियों के लिए भी ब्रेकफास्ट तैयार किया जाता है. कई लोग मिलकर हाथियों के लिए ब्रेकफास्ट तैयार करते हैं. सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहा है, जिसे आईएएस अधिकारी सुप्रिया साहू ने शेयर किया है.

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तमिलनाडु के रिजर्व में बनता है हाथियों का ब्रेकफास्ट

आईएएस अधिकारी सुप्रिया साहू (IAS Officer Supriya Sahu) ने एक वीडियो ट्विटर पर शेयर किया है, जिसमें देखा जा सकता है कि कैसे तमिलनाडु (Tamilnadu) के मुदुमलाई टाइगर रिजर्व (Mudumalai Tiger Reserve) में थेप्पाकडू हाथी शिविर में हाथियों को पशु चिकित्सक द्वारा विशेष भोजन खिलाया जाता है. इसे लोग हाथियों का ब्रेकफास्ट कहते हैं. 

 

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ब्रेकफास्ट के लिए मिलाई जाती हैं ये हेल्दी चीजें

ब्रेकफास्ट तैयार करने के लिए कई हेल्दी चीजों को मिलाया जाता है. हाथियों को सुबह-सुबह थोड़े से नमक के साथ रागी, गुड़ और चावल मिलाकर खिलाया जाता है. खाने की इन चीजों को एक साथ मिलाया जाता है और बड़ी सा गोला तैयार किया जाता है. इसके बाद किचन के सदस्य हाथी के पास जाकर सीधे मुंह में डाल देते हैं.

 

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कुछ ही सेकेंड के वीडियो को मिले हजारों व्यूज

सुप्रिया साहू ने एक दिन पहले ब्रेकफास्ट की तैयारी और हाथी को खिलाने का एक वीडियो शेयर किया था. उनके 49 सेकंड के वीडियो को 50,000 से ज्यादा बार देखा जा चुका है और हजारों लाइक्स मिल चुके हैं. हालांकि उनके ट्वीट पर लाइक्स के बावजूद कई लोगों ने हाथी को कैद में रखने को लेकर सवाल उठाए.

 

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दिन में दो बार दिया जाता है खाना

हालांकि, यह ध्यान देना जरूरी है कि 100 साल पुराने थेप्पाकडू शिविर में हाथी बंदी नहीं हैं. उन्हें शिविर के पास वन क्षेत्र में घूमने की अनुमति है, लेकिन फिर भी मुदुमलाई टाइगर रिजर्व में आने वाले पर्यटकों द्वारा उन्हें दिन में दो बार विशेष भोजन दिया जाता है.

 

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विजिटर्स भी आकर खिला सकते हैं स्पेशल फूड

विजिटर्स के लिए हाथी खिलाने का कार्यक्रम प्रतिदिन सुबह 8.45 बजे से 9.15 बजे और शाम 5.45 बजे से शाम 6.15 बजे तक खुला रहता है. थेप्पाकडु शिविर की वेबसाइट के अनुसार, इन हाथियों को अनुभवी महावतों द्वारा प्रशिक्षित किया जाता है और जंगल में गश्ती, पर्यावरण-पर्यटन उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है.

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