Teacher Become A Flower Farmer: कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों- इस पंक्ति को सच कर दिखाया है झारखंड के हजारीबाग के रहने वाले किसान अजय कुमार ने. दारू प्रखंड स्थित पेटो निवासी अजय कुमार रात में जमीन पर अंधेरे को चीरती एलइडी बल्व की रोशनी में जब बंजर जमीन पर पुष्प शृंगार अर्थात रंग-बिरंगे फूल खिले दिखाई देते हैं, तो अजय का मन बाग-बाग हो जाता है. फिर कोरोना काल में कतई नौकरी छूटने का मलाल नहीं रह जाता है. चूंकि रात में की गई फूलों की इस खेती से उनके सारे अरमान पूरे हो रहे हैं. इसी खेती ने उसे न सिर्फ प्रगतिशील किसान बना दिया, बल्कि जिले में अजय की अलग पहचान भी बन गई.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

नौकरी जाने पर टीचर ने शुरू की खेती


अजय कोरोना काल में बेरोजगार हो गए. वह एक निजी स्कूल में संगीत के शिक्षक थे. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. बेरोजगार होने के बाद उन्होंने खेती शुरू की और पहले सब्जियां उगानी शुरू की. लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया और सब्जियों की खेती बर्बाद हो गई. अजय ने हौसला बनाए रखा और लीज पर जमीन लेकर फूलों की खेती शुरू की और यहीं से क्लिक कर गया. ऐसे तो कई किसान फूलों की खेती करते हैं. लेकिन अजय ने नई तकनीक का सहारा लिया और रात में एलईडी बल्व जलाकर खेती कर रहे हैं.


रात में एलईडी बल्ब की सहायता से खेती


ऐसा माना जाता है कि झारखंड का वह पहले ऐसे किसान हैं, जो रात में एलईडी बल्ब की सहायता से खेती करते हैं. अजय बताते हैं कि फूलों की खेती करने के दौरान पौधे देनेवाले ने उन्हें बताया था कि बल्व की रोशनी फूलों पर पड़नी चाहिए. ऐसे में पौधे जल्द तैयार होंगे. उन्होंने वैसा ही किया. ऐसे में समय से पहले ही पौधे तैयार हो गए और पूरा खेत फूलों से खिल उठा. बल्व लगाने से उसे दूसरा फायदा यह हुआ कि उसके खेत में जंगली जानवरों की आवाजाही बंद हो गई. तीसरा लाभ यह हुआ कि बल्व की रोशनी में ही वह अपने बच्चों को खेत में ही पढ़ाते हैं.


10 हजार की लगाई पूंजी से हो रही बेहतर आय


अजय ने अपने खेत में 1600 गुलदाउदी, 3000 गेंदा, 1000 ग्लैड्यूलर, 200 कामिनी और 100 डालिया के पौधे लगाए हैं. 18 दिसंबर को उन्होंने पौधे लगाए और वह अब फूल बेच रहा है. उन्होंने फूलों की खेती के लिए 10,000 रुपए पूंजी लगाई थी और अब बेहतर आय हो रही है. अजय का कहना है कि हजारीबाग में फूलों का बाजार बहुत अच्छा नहीं है. फिर भी उनकी कमाई हो जा रही है. लोग उनके पास फूल खरीदने के लिए पहुंचते हैं. जयमाल बनाने के लिए आर्डर देते हैं. अब तक वह लगभग 80 शादी समारोह के लिए जयमाला तैयार कर चुके हैं. इतना ही नहीं गेंदा के फूल भी खेत में तैयार हो चुके हैं.


स्थानीय फूल दुकानदार समेत हजारीबाग से खरीदार पहुंच रहे हैं.अजय बताते हैं कि सब्जी की खेती तो कई लोग करते हैं, लेकिन फूलों की खेती करने का अलग ही मजा है. बंजर जमीन पर आज फूलों का शृंगार हो गया. इस बंजर भूमि पर कभी कंटीली झाड़ियां हुआ करती थीं. आज वहां खूबसूरत फूल खिले हुए हैं. यह उनकी मेहनत का सुखद फलाफल है. भविष्य में वह चाहते हैं कि व्यापक पैमाने पर फूलों की खेती करें. इसके लिए उन्होंने सरकार को पॉली हाउस के लिए आवेदन भी दिया है. अजय ने केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री कुंभ योजना का लाभ लिया है. इससे खेत में महज पांच हजार रुपए में सोलर पैनल लग गया और अब वह लगातार खेती कर सकते हैं. रात में बल्ब जलाने के लिए उन्होंने झारखंड बिजली परियोजना से कनेक्शन लिया है. इससे उनके खेत रात में भी जगमगाते हैं.


हिंदी ख़बरों के लिए भारत की पहली पसंद ZeeHindi.com - सबसे पहले, सबसे आगे