पत्नी नहीं हो पाई प्रेग्नेंट तो गम में डूबा खानदान, शादी के 54 साल बाद घर में यूं हुआ पहला बच्चा; जानें कैसे
Trending News: आईवीएफ तकनीक की बदौलत दुनिया भर में कई बुजुर्ग जोड़े 70 से 80 साल की उम्र में माता-पिता बन गए हैं. गौरवान्वित पिता गोपीचंद (Gopichand) झुंझुनू के नुहनिया गांव के एक पूर्व सैनिक हैं, जिन्हें बांग्लादेश युद्ध के दौरान पैर में गोली लगी थी.
Elderly Couple Welcomes Their First Child: मेडिकल साइंस जीवन बदल रहा है और अनगिनत जिंदगियों में खुशियां ला रहा है. शादी के 54 साल बाद राजस्थान के अलवर में बीते सोमवार को 75 वर्षीय पुरुष और 70 वर्षीय महिला ने अपने पहले बच्चे का स्वागत किया. डॉक्टरों के मुताबिक, पूरे राज्य में यह इकलौता मामला था. हालांकि, आईवीएफ तकनीक की बदौलत दुनिया भर में कई बुजुर्ग जोड़े 70 से 80 साल की उम्र में माता-पिता बन गए हैं. गौरवान्वित पिता गोपीचंद (Gopichand) झुंझुनू के नुहनिया गांव के एक पूर्व सैनिक हैं, जिन्हें बांग्लादेश युद्ध के दौरान पैर में गोली लगी थी. डॉ पंकज गुप्ता ने कहा कि बच्चा और मां दोनों ठीक हैं. बच्चे का वजन करीब 3.5 किलो है.
इस उम्र में बच्चों के पैदा होने के कुछ ही मामले
डॉक्टर ने कहा, 'देश भर में इस उम्र में बच्चों के पैदा होने के कुछ ही मामले हैं. राजस्थान का यह संभवत: पहला मामला है जब 75 वर्षीय पुरुष और 70 वर्षीय महिला को बच्चा हुआ है.' पहले बच्चे के घर में आने पर गोपीचंद ने कहा, 'खुशी है कि हम अपने परिवार को आगे ले जा सकते हैं क्योंकि मैं अपने पिता नैनू सिंह का इकलौता बेटा हूं.' गोपीचंद ने करीब डेढ़ साल पहले एक रिश्तेदार के जरिए फर्टिलिटी क्लीनिक से संपर्क किया था. अपने तीसरे आईवीएफ साइकिल में, चंद्रावती देवी नौ महीने पहले गर्भवती हुई. माता के वृद्ध होने के कारण चिंता और प्रसन्नता समान भाव से थी. हालांकि, उन्होंने आखिरकार सोमवार को एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया.
आईवीएफ को लेकर जून 2022 में आया ऐसा कानून
डॉक्टर गुप्ता के अनुसार, संसद द्वारा हाल ही में अधिनियमित एक कानून जून 2022 में प्रभावी हुआ. इसमें कहा गया है कि कोई भी आईवीएफ प्रजनन संस्थान 50 से अधिक रोगियों का इलाज नहीं कर पाएगा, जिसमें पुरुष और महिला दोनों शामिल हैं. हालांकि, दंपति भाग्यशाली थे क्योंकि कानून लागू होने से पहले महिला गर्भवती हो गई थी. गोपीचंद को सेना से सेवानिवृत्त हुए 40 साल हो चुके हैं. गोपी सिंह को भी बांग्लादेश युद्ध में गोली मार दी गई थी. संयोग ही है कि चंद्रावती का सिजेरियन ऑपरेशन करने वाली डॉक्टर कर्नल रीना यादव भी सिपाही हैं.
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