Unique Temple: पुडुचेरी के करीब एक मनोरम गांव मौजूद है, जहां एक विशाल मंदिर के अनावरण के साथ भक्ति की भव्यता आकार लेती है, जो अमाधर्मन को समर्पित है. इस पवित्र स्थान के गर्भगृह में अमाधर्मन की 30 फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित है, जो इसे सबसे ऊंची प्रतिमाओं में से एक बनाती है. इस मंदिर के पीछे की मान्यता यह है कि दैनिक अनुष्ठानों और पूजा-अर्चनाओं के माध्यम से दिवंगतों की पूजा करने से दुर्भाग्य दूर हो सकते हैं और समृद्धि व खुशहाली का जीवन मिल सकता है. मंदिर के संरक्षक ने एक प्राचीन शास्त्र ओलईचुवड़ी (Olaichuvadi) पर प्रकाश डाला, जिसमें कहा गया है कि इदुखट में मृतकों के लिए पारंपरिक यात्रा प्रतिबंधित है. इसे दूर करने के लिए अमादर्मन मंदिर के भीतर मृतक मूर्तियों की स्थापना, साथ ही दैनिक पूजा से परिवारों में समृद्धि आने की मान्यता है.


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आखिर क्या है इस मंदिर की विशेषता


मंदिर की एक विशेषता है और वह यह है कि अमाधर्मन की 30 फुट ऊंची प्रतिमा है. ऐसी मान्यता है कि जब से इसकी स्थापना और अभिषेक हुई है उसके बाद से केवल प्राकृतिक मौतें हुई हैं, असामयिक मृत्यु को छोड़कर. थट्टलाली स्थित अमाधर्मन मंदिर पिंडों के माध्यम से पितरों की पूजा की सुविधा प्रदान करता है. लगभग 400 साल पुराने इस मंदिर में अमाधर्मन को अपने दिव्य वाहन, भैंस पर बैठे हुए, एक प्रेम रस्सी पकड़े हुए दिखलाया गया है. उनके बगल में बैठे चित्रगुप्त हाथ में कलम लेकर दक्षिण की ओर इशारा कर रहे हैं. मंदिर के आसपास भगवान विनायक, एमॅड की बहन अंदाची अम्मन और एक अय्यनार मंदिर हैं.


मंदिर में कैसे होती है पूजा


एक प्रतिष्ठित धनुषाकार मीनार अमाद मंदिर की शोभा बढ़ाती है, जिसमें पेरुमल, अमाधर्मन और चित्रगुप्त के लिए संरेखण में तीन त्रिशूल रखे गए हैं. मंदिर के बाहरी 'प्रहारम' में इमाद की सजाओं को दर्शाने वाली एक पेंटिंग है, जैसा कि गरुड़ पुराण में वर्णित है. पारंपरिक प्रथाओं से हटकर, इस मंदिर में नारियल फोड़ना शामिल नहीं है, इस मान्यता के कारण कि देवता सांस लेते हैं. पूजा बहन अंदाची अम्मन के सम्मान के साथ शुरू होती है, उसके बाद एमाधर्मा और चित्रगुप्त की पूजा की जाती है. मंदिर का भव्य उत्सव हर साल चैत्र महीने की पूर्णिमा के दौरान होता है, जिसमें चैत्र वाणी पोंगल और एक सौ एक मूर्तियों का शानदार जुलूस निकलता है.