Vande Bharat Breakdown: यूपी स्थित इटावा में भरथना रेलवे स्टेशन के पास दिल्ली से बनारस जा रही वंदे भारत ट्रेन के इंजन में तकनीकी समस्या के चलते दो घंटे से अधिक समय तक रेलवे ट्रैक बाधित रहा. यात्रियों को दूसरी ट्रेन में शिफ्ट करके ट्रैक को चालू किया गया. यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा.


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इटावा के भरथना रेलवे स्टेशन के पास दिल्ली से बनारस जा रही वंदे भारत ट्रेन के इंजन में तकनीकी कमी आने के कारण ट्रेन लाइन पर रुक गई, जिसके चलते पीछे आ रहे शताब्दी एक्सप्रेस व अन्य वंदे भारत ट्रेनों को इटावा रेलवे स्टेशन पर रोका गया. करीब 2 घंटे से अधिक समय तक दिल्ली-कानपुर रेल मार्ग पूरी तरह से बाधित रहा. इसके बाद वंदे भारत ट्रेन में सवारी यात्रियों को शताब्दी और दूसरी वंदे भारत ट्रेन में शिफ्ट कर कानपुर तक ले जाया गया, जहां से उनको स्पेशल ट्रेन द्वारा बनारस ले जाया जाएगा.


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वहीं शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन में यात्रा कर रहे यात्री ने बताया कि काफी देर से ट्रेन खड़ी हुई है और किसी प्रकार की सूचना और ना ही अनाउंस किया जा रहा है कि आखिर ट्रेन कब तक चलेगी. इसकी वजह से हमारे साथ में हमारी पत्नी की तबीयत भी खराब हो गई, जिससे काफी परेशानी का सामना भी करना पड़ा. हालांकि 2 घंटे से अधिक तक रेलवे ट्रैक बाधित होने के बाद ट्रैक को सुचारू रूप से चालू कर दिया गया था. 


 



 


ट्रेन में सवार यात्रियों में मची भगदड़


घटना से ट्रेन में सवार यात्रियों में भगदड़ मच गई, और हालांकि तकनीकी टीम मौके पर पहुंच गई और समस्या का समाधान करने का प्रयास किया लेकिन उनके प्रयास असफल रहे. ट्रेन भरथना और समहो रेलवे स्टेशनों के बीच रोकी गई थी और फिर एक मालगाड़ी के इंजन का उपयोग करके भरथना रेलवे स्टेशन तक ले जाई गई. प्रयागराज रेल डिवीजन के एक वरिष्ठ अधिकारी अमित कुमार सिंह के अनुसार, वाराणसी वंदे भारत में लगभग 750 यात्री यात्रा कर रहे थे. रेलवे अधिकारियों ने सुनिश्चित किया कि इन यात्रियों को कानपुर पहुंचने के बाद श्रम शक्ति एक्सप्रेस के माध्यम से वाराणसी तक सुरक्षित रूप से ले जाया गया.


नई दिल्ली से वाराणसी की ओर जा रही ट्रेन में सुबह करीब 9:15 बजे तकनीकी गड़बड़ी आ गई. इंजीनियरों के समस्या ठीक करने के प्रयासों के बावजूद वे ट्रेन को फिर से चलाने में असमर्थ रहे. ट्रेन में बैठे कई सारे लोगों का कहना है कि वंदे भारत जैसी ट्रेन की ये हालत है. हमारी तो दुर्गती हो गई. अब दोबारा बैठने पर डर लगेगा कि कहीं फिर से ये बंद न हो जाए.