Why No Rust on Railway Tracks: चाहे भारत हो या पाकिस्तान, चीन हो या अमेरिका...रेलवे हर देश के यातायात की रीढ़ है. लाखों लोग हर दिन एक जगह से दूसरी जगह तक रेलवे में बैठकर सफर करते हैं. रेलवे की पटरियां तो आपने जरूर देखी होंगी. लेकिन क्या कभी ये आपने सोचा है कि रेलवे की पटरियों पर कभी जंग क्यों नहीं लगता. गर्मी, बरसात और सर्दी के मौसम में भी इन पर कोई असर नहीं होता. जबकि घर में जो लोहे का कबाड़ पड़ा होता है, उसमें कुछ ही वक्त बाद जंग लग जाता है. चलिए आपको इसके पीछे की साइंस समझाते हैं. 


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लोहे में जंग लगता क्यों है?


जब भी स्टील या फिर स्टील से बना सामान नमी या फिर ऑक्सीजन के संपर्क में आता है तो उन पर एक परत जम जाती है, जो भूरे रंग की होती है. यह परत आयरन ऑक्साइड की होती है. इसी परत को लोहे पर जंग लगना कहा जाता है. इसके असर के कारण स्टील धीरे-धीरे गलन शुरू होकर खराब हो जाता है. लेकिन रेलवे की पटरियों के साथ ऐसा नहीं होता. तो इसका मतलब है कि रेलवे की पटरियां का जो स्टील होता है, वह कुछ अलग चीज से बना होता है.


भारतीय रेलवे हर दिन हजारों रेलगाड़ियां और मालगाड़ियां ऑपरेट करता है. सवा लाख किमी से भी ज्यादा भारत में रेलमार्ग की लंबाई है. यानी पूरे रेलमार्ग का चकाचक रहना बेहद जरूरी है. अगर पटरियों में जंग लग गया तो वे कमजोर पड़ जाएंगी, जिससे बड़ी दुर्घटना होने की भी संभावना है. 


किस धातु से बनती हैं पटरियां


रेलवे की पटरियों को बनाने में आम स्टील का नहीं बल्कि खास धातु का इस्तेमाल किया जाता है. इसी वजह से इसमें जंग नहीं लगता. जिस स्पेशल धातु से रेलवे की पटरियां बनाई जाती हैं, उसे मैगनीज स्टील कहा जाता है. मेंगलॉय और स्टील को मिलाकर इसे तैयार किया जाता है. फिर इसी मैगनीज स्टील से पटरियां बनाई जाती हैं. इसके मिश्रण में 12 फीसदी मैगनीज और 0.8 परसेंट कार्बन होता है. यही वजह से है कि रेलवे की पटरियां कई वर्षों तक जंग से सुरक्षित रहती हैं. 


अगर रेलवे की पटरियों को आम लोहे से तैयार किया जाता तो फिर उसमें बारिश के बाद नमी बनी रहती और जंग लग जाता. इसी कारण से उनको बदलना जरूरी हो जाता. इतना ही नहीं कमजोर पटरियों की वजह से दुर्घटनाएं होने की संभावनाएं भी ज्यादा हो जाती.