FATF Gray List: आतंकवाद के वित्तपोषण और धन शोधन पर वैश्विक निगरानी संस्था एफएटीएफ (FATF) शुक्रवार को पाकिस्तान को अपनी ‘‘ग्रे लिस्ट’’ से बाहर कर सकती है. ऐसा होने पर पाकिस्तान अपनी संकटपूर्ण वित्तीय स्थिति से निपटने के लिए विदेशी धन प्राप्त करने का प्रयास कर सकता है. वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) द्वारा धन शोधन और आंतकवाद के वित्तपोषण पर रोक लगाने में विफल रहने के बाद पड़ोसी देश को जून 2018 में इस श्रेणी में शामिल किया गया था.


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एफएटीएफ ने धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने में कानूनी, वित्तीय, नियामक, जांच, अभियोजन, न्यायिक और गैर-सरकारी क्षेत्र की कमियों के चलते पाकिस्तान को निगरानी सूची में डाला था.


पाकिस्तान ने ज्यादातर कार्रवाई बिंदुओं को पूरा किया
जून तक पाकिस्तान ने ज्यादातर कार्रवाई बिंदुओं को पूरा कर लिया था और केवल कुछ कार्रवाई बिंदु अधूरे रह गये थे, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) प्रमुख मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक हाफिज सईद और जकीउर रहमान लखवी समेत संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफलता शामिल थी.


अजहर, सईद और लखवी भारत में कई आतंकवादी कृत्यों में शामिल होने के लिए अति वांछित आतंकवादी हैं. इन आतंकवादी कृत्यों में मुंबई में आतंकवादी हमला और 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की बस पर हमला शामिल है.


धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण पर पेरिस स्थित वैश्विक निगरानीकर्ता ने कहा था, ‘‘सिंगापुर के टी राजा कुमार की अध्यक्षता के तहत एफएटीएफ की पहली बैठक 20-21 अक्टूबर को होगी.’’ पाकिस्तान ने 27 सूत्री कार्य योजना के तहत इन कमियों को दूर करने के लिए उच्च स्तरीय राजनीतिक प्रतिबद्धताएं जताई हैं. बाद में इन कार्रवाई बिंदुओं की संख्या बढ़ाकर 34 कर दी गई.


तीन देशों के समर्थन की जरुरत
पाकिस्तान को ‘‘ग्रे लिस्ट’’ से बाहर निकलने और ‘‘व्हाइट लिस्ट’’ में जाने के लिए 39 में से 12 वोट चाहिए. ‘‘ब्लैक लिस्ट’’ से बचने के लिए इसे तीन देशों के समर्थन की जरूरत है.


पाकिस्तान के निगरानी सूची में बने रहने से इस्लामाबाद के लिए आईएमएफ, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और यूरोपीय संघ से वित्तीय सहायता पाना कठिन हो गया था. ऐसे में नकदी की कमी से जूझ रहे इस देश में समस्याएं और बढ़ गईं हैं.


(इनपुट - भाषा)


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