China support India: ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के आखिरी दिन यानी कि 24 जून को बैठक के लिए गैर ब्रिक्स देशों को भी आमंत्रित किया गया था. इसमें पाकिस्तान शामिल नहीं हो पाया था. इसको लेकर पाकिस्तान ने भारत को जिम्मेदार ठहराया था. पाकिस्तान के इस आरोप के बाद चीन ने भारत का समर्थन किया और कहा कि ये फैसला सभी ने मिलकर लिया था.


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इन देशों ने की थी शिरकत


द इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक,  ब्रिक्स सम्मेलन में अल्जीरिया, अर्जेंटीना, कंबोडिया, मिस्र, इथियोपिया, फिजी, इंडोनेशिया, ईरान, कजाकिस्तान, सेनेगल, उज्बेकिस्तान, मलेशिया और थाईलैंड सहित उभरती अर्थव्यवस्थाओं को बैठक के लिए बुलाया गया था. इसमें भाग लेने के लिए पाकिस्तान ने भी भरसक प्रयास किया था. हालांकि, भारत ने इस्लामाबाद के इस प्रयास को अवरुद्ध कर दिया था.


चीन ने की अध्यक्षता


वहीं, 2022 के लिए ब्रिक्स की अध्यक्षता चीन ने की थी. चीन ने कथित तौर पर भारत के लिए सहमति व्यक्त की और ब्रिक्स आउटरीच कार्यक्रम में अपने दोस्त को प्रवेश से रोक दिया था. इस सम्मेलन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया था.


पाकिस्तान ने जारी किया बयान


इसके बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय कार्यालय ने एक बयान जारी किया और कहा कि इस साल 'वैश्विक विकास पर एक उच्च स्तरीय वार्ता' ब्रिक्स कार्यक्रम के रूप में आयोजित की गई थी, जिसमें कई विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं को आमंत्रित किया गया था. अफसोस, ब्रिक्स के एक सदस्य ने देश ने पाकिस्तान की भागीदारी को अवरुद्ध कर दिया. दरअसल पाकिस्तान ने भारत का नाम लिए बिना ये बात कही थी.


चीन ने कहा- सभी का था निर्णय


वहीं, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा कि सभी ब्रिक्स देशों ने उच्च स्तरीय वार्ता आयोजित करने का निर्णय लिया था. बता दें कि इस्लामाबाद (Islamabad) ब्रिक्स में अपने प्रवेश को रोकने के लिए चीन की स्थिति से परेशान है. बीजिंग इस बात से निराश है कि कैसे पाकिस्तान में सरकारों ने देश की अर्थव्यवस्था को गलत तरीके से संभाला है, जिससे चीन की परियोजनाओं की प्रगति धीमी हो गई है.


पाकिस्तान की हालत है खराब


चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC)  इस्लामाबाद और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) के बीच 6 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज को फिर से शुरू करने के लिए बातचीत चल रही है. पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार एक महत्वपूर्ण स्तर तक कम हो गया है और देश के पास आयात कवर के छह सप्ताह से भी कम समय बचा है. पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिलहाल देश का मुद्रा भंडार 9 अरब डॉलर से नीचे है. उसकी अर्थव्यवस्था श्रीलंका जैसे बड़े संकट से जूझ रही है. 


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