India-China-Taiwan: ताइवान के ताइपे में अधिकारियों ने इसी महीने सिक्योरिटी डायलॉग रखा था, जिसमें भारत के तीन पूर्व टॉप मिलिट्री अफसरों भी शामिल हुए. इसे लेकर चीन बुरी तरह चिढ़ गया है.   चीन ने गुरुवार को कहा कि वह बीजिंग के साथ कूटनीतिक संबंध रखने वाले देशों और ताइवान के अधिकारियों के बीच किसी भी तरह के ऑफिशियल डायलॉग का कड़ा विरोध करता है.


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भारत के तीन पूर्व टॉप मिलिट्री अफसरों के इस महीने ताइपे में ताइवान के अधिकारियों की तरफ से आयोजित सुरक्षा संवाद में शामिल होने की खबरों पर एक पाकिस्तानी पत्रकार के सवाल पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने यह बात कही.


ताइवान को अपना हिस्सा मानता है चीन


स्वशासी ताइवान को अपना क्षेत्र मानने वाला चीन ताइपे की किसी भी हाई लेवल बैठक का लगातार विरोध करता रहा है और उसका कहना है कि यह एक-चीन के सिद्धांत का उल्लंघन है. ताइवान की आबादी 2.3 करोड़ से ज्यादा है.


खबरों के अनुसार पूर्व नेवी चीफ एडमिरल करमबीर सिंह, पूर्व आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे और पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने हाल में ताइवान में आयोजित केटागलान फोरम के 2023 हिंद-प्रशांत सुरक्षा संवाद में शिरकत की थी.


इस बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'चीन के साथ कूटनीतिक संबंध रखने वाले देशों और ताइवान के अधिकारियों के बीच किसी भी तरह के आधिकारिक संवाद का चीन कड़ा विरोध करता है.'


उन्होंने कहा, 'यह हमारा साफ रुख है. हमें उम्मीद है कि संबंधित देश एक-देश सिद्धांत का पालन करेगा, ताइवान से जुड़े मुद्दों को ठीक तरीके से संभालेगा और ताइवान के साथ किसी भी तरह का सैन्य व सुरक्षा सहयोग रखने से दूरी बनाएगा.


भारत-ताइवान के बीच हैं व्यापारिक संबंध


गौरतलब है कि भारत और ताइवान के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं, लेकिन द्विपक्षीय व्यापार संबंध लगातार बढ़ रहे हैं. 1995 में, भारत ने दोनों पक्षों के बीच बातचीत को बढ़ावा देने और व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने के लिए ताइपे में भारत-ताइपे एसोसिएशन (आईटीए) की स्थापना की. भारत-ताइपे एसोसिएशन को सभी कांसुलर और पासपोर्ट सेवाएं देने के लिए भी अधिकृत किया गया है.


(इनपुट-पीटीआई)