India-China Relations: चीन के शीर्ष राजनयिक वांग यी ने जकार्ता में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बैठक में कहा कि दोनों देशों को सीमा मुद्दे के समाधान के लिए पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान ढूंढ़ना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि विशेष मुद्दों से समग्र संबंधों को परिभाषित नहीं होना चाहिए. पूर्वी लद्दाख में तीन साल से अधिक समय से भारत का चीन के साथ सैन्य गतिरोध बना हुआ है और जयशंकर ने इसे अपने लंबे राजनयिक करिअर की सबसे जटिल चुनौती करार दिया है.


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एस जयशंकर ने साफ किया भारत का रुख


भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन से यह भी स्पष्ट कर दिया है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सद्भाव नहीं होगा, दोनों देशों के बीच संबंध आगे नहीं बढ़ सकते हैं. इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में शुक्रवार को दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के संघ (आसियान) के क्षेत्रीय फोरम (ARF) की मंत्रिस्तरीय बैठक के इतर वांग और जयशंकर के बीच वार्ता हुई. चीन के मौजूदा विदेश मंत्री छिन कांग के अस्वस्थ रहने के कारण चीन के पूर्व विदेश मंत्री वांग आसियान की बैठक में शामिल हुए.


एस जयशंकर के साथ हुई बैठक


यहां चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा शनिवार को जारी एक आधिकारिक बयान में वांग के हवाले से कहा गया कि एस जयशंकर के साथ बैठक में वांग ने उम्मीद जताई कि भारतीय पक्ष चीनी पक्ष से मुलाकात करके सीमा मुद्दे का ऐसा समाधान ढूंढ़ेगा जो दोनों पक्षों को स्वीकार्य हो. सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) के विदेश मामलों के केंद्रीय आयोग के निदेशक द्वारा जारी बयान में वांग के हवाले से कहा गया है कि विशिष्ट मुद्दों को समग्र संबंधों को परिभाषित करने की अनुमति दिए बगैर हमें अपनी ऊर्जा और संसाधनों को एक-दूसरे के विकास, लोगों की आजीविका में सुधार और पुनरुद्धार में तेजी लाने पर केंद्रित करना चाहिए.


दोनों पक्षों को आना होगा आगे


वांग यी ने आगे कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच भारत-चीन संबंधों को स्थिर करने को लेकर एक अहम सहमति बन गई है. वांग के साथ अपनी मुलाकात के बारे में जयशंकर ने शुक्रवार को ट्वीट किया था कि उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति से संबंधित लंबित मुद्दों पर चर्चा की. वांग ने कहा कि दोनों पक्षों को इसका अंत करने के लिए कदम उठाना चाहिए, द्विपक्षीय संबंधों के लिहाज से सही दिशा अपनानी चाहिए, विश्व विकास की सामान्य प्रवृत्ति को समझना चाहिए और चीन-भारत संबंधों के स्थिरीकरण और सुधार को बढ़ावा देना चाहिए.


पूर्वी लद्दाख के कुछ बिंदुओं पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तीन साल से अधिक समय से गतिरोध बराकरार है, जबकि राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद कई इलाकों से दोनों देश अपने-अपने सैनिक हटा चुके हैं.


(इनपुट: एजेंसी)