Pakistan: इमरान खान पहले अयोग्य करार दिए गए, अब इस संगीन धारा में दर्ज हुआ मुकदमा; जाएंगे जेल!
Pakistan News: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. खान पर इस बार अबतक का सबसे गंभीर आरोप लगा है. इस्लामाबाद के कानून के मुताबिक अगर इस संगीन मामले में आरोप साबित हो जाते हैं तो उन्हें जेल जाने से कोई नहीं बचा सकता है.
Imran Khan attempted to murder case: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ 'हत्या का प्रयास' का गंभीर मामला दर्ज हुआ है. पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) के वरिष्ठ नेता और नेशनल असेंबली के मेंबर मोहसिन शाहनवाज रांझा की शिकायत पर यह मुकदमा इस्लामाबाद के सचिवालय थाने में दर्ज किया गया है.
सत्ताधारी पार्टी के नेता पर हुआ था जानलेवा हमला
जियो टीवी में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक इमरान खान के खिलाफ गंभीर धाराओं में दर्ज हुई एफआईआर (FIR), पीएमएल-एन के नेता रांझा पर इस्लामाबाद (Islamabad) में पाकिस्तान के केंद्रीय चुनाव आयोग (ECP) कार्यालय के बाहर हुए हमले को लेकर हुई है. रांझा के ऊपर जानलेवा हमला उस दौरान हुआ था जब इमरान खान की पार्टी पीटीआई के समर्थक तोशाखाना मामले में खान को अयोग्य घोषित करने के चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ अपना उग्र विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.
घायल रांझा ने लगाए गंभीर आरोप
रांझा ने पुलिस को दी गई शिकायत में ये भी कहा कि तोशाखाना मामले में आयोग के सामने वह वादी के रूप में पेश हुए थे. इसी बात को लेकर उनके ऊपर बड़े हमले की साजिश रची गई थी. रांझा ने कहा, 'अगर मुझे कुछ हो जाता तो इस मामले में इमरान खान को राहत मिल सकती थी.' वहीं रांझा के समर्थकों का कहना है कि ईसीपी से बाहर कदम रखते ही उनके ऊपर हुआ हमला पीटीआई लीडरशिप के इशारे पर 'हत्या के इरादे' से किया गया था. आपको बताते चलें कि इस हमले में रांझा की गाड़ी को भी निशाना बनाया गया था. उनकी कार पर पथराव के बाद शीशे तोड़कर अंदर घुसने की कोशिश की गई थी.
कैसे जुड़ रहे तार?
पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने इमरान खान को प्रधानमंत्री के तौर पर तोशाखाना (सरकारी भंडार गृह) में विदेशी नेताओं से मिले कीमती उपहारों की बिक्री से मिले आय छिपाने का दोषी पाए जाने के बाद, उनकी संसद सदस्यता खत्म कर दी थी. वहीं इसके साथ ही 5 साल तक उनके चुनाव लड़ने पर बैन लगा दिया गया था. हालांकि, अभी इस बात पर असमंजस बरकरार है कि 5 साल का प्रतिबंध बैन असेंबली के 5 साल के कार्यकाल तक रहेगा या फिर निर्वाचन आयोग का फैसला आने की तारीख से यह प्रतिबंध शुरू होगा.
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