Pakistan News: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की कानून टीम ने तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में सत्र अदालत के फैसले को रद्द करने की अपील न करके बड़ी गलती की, जिसके चलते उच्च न्यायालय के उनकी तीन साल की कैद की सजा पर रोक लगाने के बावजूद वह जेल में हैं. देश के एक शीर्ष वकील ने बुधवार को यह बात कही.


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वहीं, कानून विशेषज्ञों के मुताबिक, इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के बावजूद पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के 70 वर्षीय अध्यक्ष इमरान अटक जेल में बंद हैं और आगामी आम चुनाव नहीं लड़ सकते, क्योंकि तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में उनकी दोषसिद्धि और अयोग्यता बरकरार है. अधिवक्ता फैजल सिद्दिकी ने कहा, ‘‘इमरान की कानून टीम ने सत्र अदालत के पांच अगस्त के फैसले को रद्द करने की अपील न करके बड़ी गलती की. उसने केवल पूर्व प्रधानमंत्री की सजा पर रोक लगाने और उन्हें जमानत पर रिहा करने की अपील की.’’


‘‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’’ अखबार ने सिद्दिकी के हवाले से लिखा, ‘‘अगर सत्र अदालत के फैसले को रद्द करने का अनुरोध किया गया होता, तो इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने मामले के गुण-दोष पर व्यापक चर्चा की होती. इसके अलावा, अगर सत्र अदालत का फैसला रद्द कर दिया गया होता, तो इमरान आगामी चुनाव लड़ सकते थे.’’ इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक और न्यायमूर्ति तारिक महमूद जहांगीरी की पीठ ने बुधवार को इमरान की सजा पर रोक लगाते हुए पंजाब प्रांत की अटक जेल से उन्हें रिहा करने का आदेश दिया था.


उच्च न्यायालय के संक्षिप्त आदेश पर टिप्पणी करते हुए अधिवक्ता हाफिज अहसान अहमद ने कहा कि फैसला असामान्य या अभूतपूर्व नहीं है, क्योंकि सजा पर रोक की पूरी संभावना थी. उन्होंने समझाया, “सजा पर रोक का फैसला कभी भी मामले के गुण-दोष के आधार पर नहीं होता है. रोक का एक आधार उच्च न्यायालय में मुख्य अपील को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने में देरी, जबकि दूसरा आधार सजा का पांच साल से कम होना हो सकता है. इस मामले में, सजा तीन साल की थी.”


‘‘जियो न्यूज’’ ने अहमद के हवासे से कहा कि क्रिकेटर से नेता बने इमरान की दोषसिद्धि और अयोग्यता बरकरार रहेगी. इस्लामाबाद की सत्र अदालत ने तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में इमरान को पांच अगस्त को तीन साल की जेल की सजा सुनाई थी. इमरान को वर्ष 2018 से 2022 के बीच प्रधानमंत्री पद पर कार्यकाल के दौरान उन्हें और उनके परिवार को मिले राजकीय उपहारों को गैरकानूनी रूप से बेचने के आरोप में दोषी करार देते हुए यह सजा सुनाई गई थी.


सत्र अदालत ने पीटीआई प्रमुख पर अगले पांच साल तक राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने पर भी रोक लगा दी थी, जिससे वे आगामी चुनाव नहीं लड़ सकते. इमरान ने निचली अदालत के फैसले को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने नेशनल असेंबली को समय से पूर्व नौ अगस्त को भंग कर दिया था. नेशनल असेंबली को भंग किए जाने के 90 दिन के भीतर पाकिस्तान में आम चुनाव कराए जाने होते हैं.


हालांकि, आम चुनावों में देरी होने की संभावना है, क्योंकि सरकार ने घोषणा की है कि चुनाव नयी जनगणना के पूरा होने और नये निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाएं तय होने के बाद ही हो सकते हैं. दोनों प्रक्रिया में लगभग चार महीने का समय लग सकता है, जिससे आम चुनाव के अगले साल तक टलने की आशंका है. ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ में प्रकाशित खबर के मुताबिक, जाने-माने वकील हाफिज अहसान अहमद खोखर ने कहा कि सजा पर रोक पाकिस्तान की आपराधिक न्याय प्रणाली में आम है, खासकर ऐसे मामलों में जिनमें जेल की सजा की अवधि कम होती है.


उन्होंने कहा, ‘‘इस मामले का अहम पहलू यह है कि सजा पर रोक सत्र अदालत द्वारा इमरान को सुनाई गई सजा को रद्द नहीं करती है, न ही यह पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) द्वारा उनकी पिछली अयोग्यता को पलटती है.’’ खोखर ने कहा, ‘‘जब तक 21 अक्टूबर 2022 के ईसीपी के आदेश और पांच अगस्त 2023 के सत्र अदालत के फैसले को रद्द नहीं किया जाता, तब तक इमरान संविधान के अनुच्छेद 63(1)(पी) और अनुच्छेद 63(एच) के प्रावधानों के तहत पाकिस्तान में चुनावी राजनीति के लिए अयोग्य रहेंगे.’’


पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के नेता आजम नजीर तरार ने भी कहा कि केवल सजा पर रोक लगाई गई है, जबकि दोषसिद्धि अभी भी बरकरार है. उन्होंने कहा कि तीन साल की सजा आमतौर पर कुछ दिनों या महीनों के भीतर निलंबित कर दी जाती है. उन्होंने पीटीआई समर्थकों को फैसले पर ‘‘बहुत जल्द जश्न मनाने’’ के प्रति आगाह किया. दिलचस्प बात यह है कि उच्चतम न्यायालय के विपरीत, इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के आदेश में सत्र अदालत के न्यायाधीश हमायूं दिलवर के आचरण या उनके फैसले पर सवाल नहीं उठाया गया है. दिलावर ने इमरान को दोषी ठहराते हुए तीन साल की जेल की सजा सुनाई थी.


खबरों के अनुसार, इमरान को उनके साढ़े तीन साल के प्रधानमंत्री पद पर कार्यकाल के दौरान विश्व नेताओं से 14 करोड़ रुपये से अधिक के 58 उपहार मिले थे. उन्होंने इन सभी उपहारों को या तो नाममात्र राशि का भुगतान करके या बिना कोई भुगतान किए अपने पास रखा था.


(एजेंसी इनपुट के साथ)