Bilawal Bhutto Attack Imran Khan: बिलावल ने रख दिया इमरान खान की दुखती नस पर पैर- अब सेना उनका...
Pakistan News: विदेश मंत्री ने कहा कि 2018 में इमरान खान की सत्ता में इजाफा क्यों हुआ, हर कोई जानता है. उन्हें पाकिस्तानी सेना के कुछ पूर्व अधिकारियों के सहयोग से एक धांधली चुनाव के जरिए सत्ता में लाया गया था.
Pakistan Army Vs Imran Khan: पाकिस्तान में मची सियासी उथल-पुथल किसी से छिपी नहीं है. पूर्व पीएम इमरान खान की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. इस बीच देश के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने उन पर तंज कसा है. बिलावल ने कहा, इमरान राजनीति में सेना के दखल के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि वह केवल इसलिए परेशान हैं क्योंकि वह अब सेना उनका समर्थन नहीं कर रही है.
बिलावल पीपीपी अध्यक्ष हैं. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, खान की पाकिस्तानी सेना के साथ समस्या पिछले साल अप्रैल में शुरू हुई, जब उसने घोषणा की कि वह राजनीति में शामिल नहीं होगी और पक्ष नहीं लेगी.
एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में सेना के साथ खान का मुद्दा यह नहीं है कि वे राजनीति में शामिल है. सेना के साथ उनकी समस्या यह है कि वे उनका समर्थन करने के लिए शामिल नहीं हो रहे हैं.
'सेना की भूमिका नकार नहीं सकते'
उन्होंने कहा कि देश की राजनीति में सेना की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता. हमारा आधे से ज्यादा इतिहास सैन्य शासन से भरा हुआ है. मेरी पार्टी, पीपीपी, ने पाकिस्तान के इतिहास में हर एक तानाशाही को चुनौती दी है.
बिलावल ने कहा कि इमरान ने पाकिस्तान में हर तानाशाही का समर्थन किया है, इसमें पूर्व राष्ट्रपति जनरल (रिटायर्ड) परवेज मुशर्रफ की आखिरी तानाशाही भी शामिल है. खान का राजनीतिक इतिहास यह है कि उन्होंने हर तानाशाह का समर्थन किया है और उन्होंने पाकिस्तान के इतिहास में हर निरंकुश का समर्थन किया है.
'सब जानते हैं इमरान को कैसे मिली थी सत्ता'
विदेश मंत्री ने कहा कि 2018 में इमरान खान की सत्ता में इजाफा क्यों हुआ, हर कोई जानता है. उन्हें पाकिस्तानी सेना के कुछ पूर्व अधिकारियों के सहयोग से एक धांधली चुनाव के जरिए सत्ता में लाया गया था. उन्होंने कहा कि 9 मई को हुई कार्रवाई से अधिकांश पाकिस्तानी बहुत आहत हैं, जहां खान ने अपने समर्थकों को सेना के प्रतिष्ठानों पर हमला करने के लिए बढ़ावा दिया.
लाहौर में कॉर्प कमांडर हाउस, रावलपिंडी में जीएचक्यू (सामान्य मुख्यालय) और कई सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया था. एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के इतिहास में किसी भी राजनीतिक दल ने इस तरह का हमला कभी नहीं किया है और अब जो लोग हमारे सैन्य प्रतिष्ठानों पर इन हमलों में शामिल थे, उन्हें देश के कानून के परिणामों का सामना करना होगा.
(इनपुट-आईएएनएस)