India China latest updates in Eastern Ladakh: पिछले 3 साल से पूर्वी लद्दाख के बेहद ठंडे मौसम में तैनात चीनी सैनिकों (PLA) की हालत अब लगातार खराब होने लगी है. शुरू के कुछ महीने तो उन्होंने जैसे-तैसे काट लिए लेकिन अब बर्फीली चोटियों पर ड्यूटी करने में उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अपनी सेना के गिरते मनोबल को थामने के लिए अब चीन ने नए पैंतरे आजमाने शुरू कर दिए है. उसने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में तिब्बती युवाओं (Tibetan Soldiers) को अपनी फौज में भर्ती कर सरहद पर तैनाती शुरू कर दी है. PLA का मानना है कि इस तिकड़म से तिब्बतियों को चीन के प्रति वफादार बनाने और भारतीय सेना से मुकाबले में मदद मिलेगी.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

थकने लगे हैं अब चीनी सैनिक


सूत्रों के मुताबिक पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में धोखेबाजी कर आगे बढ़े चीनी सैनिक (Chinese Army) अब थकने लगे हैं. उसके सैनिक लद्दाख के दुरुह मौसम को भी नहीं झेल पा रहे हैं. वहीं उसके सामने भारतीय सैनिक (Indian Army) पूरी तैयारी और जोश के साथ बिना किसी परेशानी के जमे हुए हैं. चीनी सेना के सामने तैनात भारतीय सैनिकों में अधिकतर  हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, लद्दाख, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैंड और मणिपुर जैसे पहाड़ी इलाकों के रहने वाले हैं. जिन्हें भारतीय सेना ने गहन ट्रेनिंग देकर पहाड़ी युद्ध का खूंखार लड़ाका बना दिया है. 


लद्दाख की बेरहम ठंड में पस्त


भारतीय सेना की इस सुनियोजित रणनीति के सामने अब चीनी सेना (Chinese Army) पस्त दिख रही है. उसके सैनिक अब लद्दाख की बेरहम ठंड में लंबे समय तक टिकने में अक्षम नजर आ रहे हैं. इसलिए उसने अब रणनीति बदलते हुए कब्जाए हुए तिब्बती इलाकों (Tibetan Soldiers) के युवाओं को अपनी सेना में भर्ती कर सरहद पर तैनात शुरू कर दिया है. सूत्रों के मुताबिक पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन की ओर इन दिनों तिब्बती मूल के चीनी सैनिक खड़े नजर आ रहे हैं. 


अपनी रणनीति बदलने को हुई मजबूर


सूत्रों के मुताबिक भारतीय सेना (Indian Army) में विकास रेजिमेंट नाम की स्पेशल फोर्स है. इस फोर्स का गठन वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद किया गया था. यह रेजिमेंट खुफिया एजेंसी रॉ के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन काम करती है. इस फोर्स में सभी जवान तिब्बती मूल (Tibetan Soldiers) के हैं. पैंगोंग झील के उत्तरी छोर पर चीनी सैनिकों (Chinese Army) के कब्जे के बाद इसी विकास रेजिमेंट ने तेजी से ऑपरेशन कर झील के दक्षिणी क्षेत्र में कैलाश रेंज की पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया था. भारतीय सेना की स्पेशल फ्रंटियर फोर्स के इस ऑपरेशन ने चीनी सेना को हैरान कर दिया था. इसके बाद उसने भी तिब्बती युवाओं को अपनी सेना से जोड़ने का अभियान शुरू किया.


तिब्बती युवाओं को भर्ती कर रही PLA


जानकारी के मुताबिक पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) के पहाड़ों पर लंबे समय तक जमे रहने की साजिश के तहत अब चीन अपनी सेना में तिब्बती युवाओं (Tibetan Soldiers) की भर्ती को बढ़ावा दे रहा है. इसके लिए उसने तिब्बत में रहने वाले हर परिवार से कम से कम एक सदस्य को अपनी सेना में भर्ती करने की रणनीति बनाई है. जो परिवार चीनी सेना (Chinese Army) की बात मानने से इनकार कर रहे हैं, उन्हें हिरासत में लेकर विभिन्न प्रकार से टॉर्चर किया जा रहा है. सेना में भर्ती होने वाले तिब्बती युवाओं को मंदारिन भाषा और चीन की हान संस्कृति के बारे में भी ट्रेंड किया जा रहा है. चीनी सेना का मानना है कि ऐसा करके वह तिब्बतियों को चीन के प्रति वफादार बनाने के साथ ही भारत से भी अच्छे से निपट पाएगी.