Pakistan On Indian IIT: `आजादी के पहले 10 साल में भारत ने बनाए IIT और हमने बदल दिए 7 PM`, पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री का छलका दर्द
Pakistan Minister Miftah Ismail On Indian IIT: एक साथ आजाद होने के बावजूद भारत तरक्की के मामले में पाकिस्तान से बहुत आगे निकल चुका है. अब पाकिस्तान के पूर्व मंत्री ने अपने देश के नेताओं को भारत से सीख लेने की नसीहत दी है.
India Pakistan Comparison: भारत को बर्बाद करने के जुनून में आतंकवाद और इस्लामिक कट्टरपन फैलाते आ रहे पाकिस्तान (Pakistan) की बदहाली किसी से छिपी नहीं है. अपने देश की इस दुर्गति पर अब पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल का दर्द भी छलक आया है. भारत से तुलना करते हुए इस्माइल ने कहा कि पिछे 75 सालों में भारत ने आईआईटी (IIT) का जाल बिछा डाले जबकि पाकिस्तान अब भी बेसिक सुविधाओं को हल करने के सवाल से ही जूझ रहा है.
'भारत ने 75 साल में बनाए कई IIT लेकिन पाकिस्तान...'
पाकिस्तान (Pakistan) की नेशनल असेंबली में बोलते हुए मिफ्ताह इस्माइल (Miftah Ismail) ने कहा कि दोनों देशों ने अंग्रेजों से एक साथ आजादी हासिल की थी. आजाद होने के 4 साल बाद ही भारत ने अपने पहले इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी वर्ष 1951 में स्थापना कर दी थी. इसके बाद वर्ष 1960 तक भारत ने ऐसे 4 आईआईटी और खोले. भारत के ये इंस्टिट्यूट (IIT) अब दुनिया के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेजों में गिने जाते हैं. वहीं पाकिस्तान ने इन सब पर ध्यान देने के बजाय शुरुआती दशक में ही 7 प्रधानमंत्री बदल डाले.
'हम भारत से मुकाबला क्यों नहीं कर पाते'
पाकिस्तान (Pakistan) के पूर्व वित्त मंत्री (Miftah Ismail) ने कहा कि देश में कई लोग इस बात का रोना रोते हैं कि हमारी आईटी एक्सपोर्ट केवल 3 अरब डॉलर का है जबकि भारत 150 अरब डॉलर से ज्यादा का आईटी एक्सपोर्ट करता है. इस बारे में पूछे जाने पर पाकिस्तान के कारोबारी कहते हैं कि अगर उन्हें भी छूट मिले तो वे भारत की बराबरी कर सकते हैं. लेकिन सच बात ये है कि कोई भी रियायत या छूट पाकिस्तान को आईटी एक्सपोर्ट का पावरहाउस नहीं बना सकती. यह काम केवल बेहतर शिक्षा ही कर सकती है.
'हमने भारत की पेशेवर संस्था क्यों नहीं बनाए'
मिफ्ताह इस्माइल (Miftah Ismail) ने पाकिस्तान के नेताओं से सवाल पूछा कि आखिर हमने भी भारत की तरह पेशेवर आईआईटी (IIT) या दूसरे संस्थान क्यों नहीं बनाए. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को अपनी युवा पीढ़ी को हर हाल में स्मार्ट बनाना होगा. साथ ही अच्छी एजुकेशन का ऐसा माहौल बनाना होगा, जिससे पाकिस्तान के मलिन बस्तियों में रहने वालों के बच्चे भी पढ़-लिखकर मेडल हासिल करें. अगर ऐसा हो गया तो पाकिस्तान को फिर विदेशी मुद्रा भंडार के लिए चिंता नहीं करनी होगी.
आर्थिक बदहाली से गुजर रहा है पाकिस्तान
बताते चलें पाकिस्तान (Pakistan) पिछले कई सालों से गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है. पाकिस्तान में पेट्रोल-डीजल से लेकर आटा, सब्जी, तेल, चिकन जैसी जरूरी चीजें आम लोगों के बजट से बाहर हो चुकी हैं. विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म होने के कगार पर जिसके चलते पाकिस्तान चाहकर भी विदेशों से ज्यादा चीजें नहीं खरीद पा रहा है. इसकी खीज वहां के नेताओं की जुबान पर बार-बार आ ही जाती है.
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