लाहौर: अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को अपना देश संभालने की सलाह दी है. शाह ने अंग्रेजी अखबार द संडे एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि इमरान खान को अपने देश की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए. उन्हें मालूम होना चाहिए कि हम 70 साल से लोकतंत्र में हैं और हमें अपने समाज की सुरक्षा करना भली-भांति आती है. नसीरुद्दीन शाह ने ये बातें इमरान खान के उस बयान पर कहा है कि जिमसें उन्होंने शाह के बयान को सहारा बनाकर भारत पर हमले किए थे.


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इमरान खान ने क्या कहा?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शनिवार को कहा कि वह नरेंद्र मोदी सरकार को दिखाएंगे कि अल्पसंख्यकों से कैसे व्यवहार करते हैं? पाकिस्तानी प्रधानमंत्री खान का यह बयान बॉलीवुड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह की भारत में भीड़ द्वारा की जाने हिंसा को लेकर टिप्पणी को लेकर जारी विवाद के बीच आया है. नसीरुद्दीन शाह भारत में भीड़ द्वारा पीट पीटकर मार डालने के मामलों को लेकर अपनी टिप्पणी के कारण विवादों में आ गए हैं.


खान ने पंजाब सरकार की 100 दिन की उपलब्धियों को रेखांकित करने के लिए लाहौर में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इस बात पर जोर दिया कि उनकी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रही है कि पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों को उनके उचित अधिकार मिले. उन्होंने कहा कि यह देश के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना का भी दृष्टिकोण था. खान ने कहा कि उनकी सरकार यह सुनिश्वित करेगी कि अल्पसंख्यक सुरक्षित, संरक्षित महसूस करें और उन्हें ‘नये पाकिस्तान’ में समान अधिकार हों.



उन्होंने शाह के बयान की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘हम मोदी सरकार को दिखाएंगे कि अल्पसंख्यकों के साथ कैसे व्यवहार करते हैं...भारत में लोग कह रहे हैं कि अल्पसंख्यकों के साथ समान नागरिकों की तरह व्यवहार नहीं हो रहा है.’ पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि कमजोर को न्याय नहीं दिया गया तो इससे विद्रोह ही उत्पन्न होगा. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, ‘पूर्वी पाकिस्तान के लोगों को उनके अधिकार नहीं दिये गए जो कि बांग्लादेश निर्माण के पीछे मुख्य कारण था.’


नसीरुद्दीन शाह ने क्या कहा था?
अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने प्रत्यक्ष तौर पर हाल ही में भीड़ द्वारा की गई हिंसा का हवाला देते हुए कहा कि कई जगहों पर एक गाय की मौत को एक पुलिस अधिकारी की हत्या से ज्यादा तवज्जो दी गई. अभिनेता ने अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई. उनका कहना है कि उन्होंने अपने बच्चों को किसी खास धर्म की शिक्षा नहीं दी है. शाह 'कारवां-ए-मोहब्बत इंडिया' द्वारा किए गए वीडियो साक्षात्कार में यह टिप्पणी कर रहे थे. इस संगठन ने सोमवार को यूट्यूब चैनल पर यह वीडियो पोस्ट किया है. अभिनेता का कहना है कि ‘जहर फैलाया जा चुका है’ और अब इसे रोक पाना मुश्किल होगा. 


उन्होंने कहा, ‘इस जिन्न को वापस बोतल में बंद करना मुश्किल होगा. जो कानून को अपने हाथों में ले रहे हैं, उन्हें खुली छूट दे दे गई है. कई क्षेत्रों में हम यह देख रहे हैं कि एक गाय की मौत को एक पुलिस अधिकारी की मौत से ज्यादा तवज्जो दी गई.' अभिनेता की पत्नी रत्ना पाठक हैं. शाह ने कहा कि उन्होंने तय किया था कि वे अपने बच्चों इमाद और विवान को धार्मिक शिक्षा नहीं देंगे क्योंकि उनका मानना है कि '‘खराब या अच्छा होने का किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है.' 


शाह का अपने बच्चों के लिए भयभीत होना 2015 में आमिर खान द्वारा असहिष्णुता पर दिए गए बयान की याद दिलाता है. खान की इस टिप्पणी के बाद विवाद पैदा हो गया था. 


नसीरुद्दीन शाह ने बच्चों को लेकर चिंता जताई
अभिनेता ने कहा, ‘मुझे बचपन में धार्मिक शिक्षा मिली थी. रत्ना (अभिनेता की पत्नी) एक प्रगतिशील घर की थी और उसे ऐसा कुछ नहीं मिला. और हमने तय किया कि हम अपने बच्चों को धार्मिक शिक्षा नहीं देंगे क्योंकि मेरा मानना है कि किसी के अच्छे होने या बुरे होने का धर्म से कोई लेना देना नहीं है.' 



शाह ने कहा, ‘हमने अपने बच्चों को अच्छे और बुरे में भेद बताया, जिसमें हमारा विश्वास है. मैंने उन्हें कुरान शरीफ की कुछ आयतें पढ़ना भी सिखाया क्योंकि मेरा मानना है कि इससे उच्चारण स्पष्ट होता है. यह वैसे ही जैसे रामायण या महाभारत को पढ़ने से किसी का उच्चारण सुधरता है.' अभिनेता ने कहा कि स्थिति जल्द सुधरने वाली नहीं है. उन्होंने कहा कि वह डरे हुए नहीं हैं बल्कि गुस्से में हैं. 


उन्होंने कहा, ‘मैं अपने बच्चों के लिए चिंतित हूं क्योंकि कल को अगर भीड़ उन्हें घेरकर पूछती है, ‘तुम हिंदू हो या मुसलमान?’ तो उनके पास इसका कोई जवाब नहीं होगा. यह मुझे चिंतित करता है और मुझे नहीं लगता कि इन हालात में जल्द कोई सुधार होगा.’


अभिनेता ने कहा, ‘ये सभी चीजें मुझे डराती नहीं हैं बल्कि गुस्सा दिलाती हैं और मैं मानता हूं कि सही सोचने वाले हर व्यक्ति को गुस्सा होना चाहिए न कि डरना चाहिए. यह हमारा घर है और किसकी हिम्मत है जो हमें हमारे घर से निकाले.' तीन दिसंबर को दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं सहित एक भीड़ ने एक क्षेत्र में कथित गौवध को लेकर एक पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया था. इस घटना में एक पुलिस निरीक्षक सुबोध कुमार सिंह और एक अन्य व्यक्ति मारे गए थे.