Pakistan Political Crisis: पाकिस्तान में एक बार फिर से सियासी ड्रामा शुरू हो गया है. हालांकि इस बार यह केंद्रीय स्तर पर न होकर राज्य स्तर पर है और राजनीतिक लड़ाई का अखाड़ा पंजाब प्रांत बना है. यहां पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के बेटे हमजा शहबाज के दोबारा मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद विवाद और बढ़ गया है. इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में सोमवार को सुनवाई को लेकर सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं ने अविश्वास व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि ‘मैच फिक्सिंग’ की तरह ही ‘बेंच फिक्सिंग’ भी जुर्म है. नेताओं ने उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया कि वह एक तरफा फैसले लेने के लिए विशिष्ट पीएमएल-एन विरोधी पीठ गठित करने से बचे.


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सभी ने की पूर्ण पीठ गठित करने की मांग


सत्ताधारी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट को चेतावनी देते हुए कहा कि इस देश को उस जगह न ले जाएं, जहां लोग संस्थानों के खिलाफ बगावत कर दें. सरकार को सुप्रीम कोर्ट की मौजूदा पीठ से किसी इंसाफ की उम्मीद नहीं है. सभी नेताओं ने पूर्ण पीठ गठित करने की मांग फिर से की. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मरियम के अलावा विदेश मंत्री एवं पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के नेता बिलावल भुट्टो-जरदारी, जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (एफ) के नेता मौलाना फजल-उर-रहमान और गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह भी मौजूद रहे.


PML-N विरोधी जजों को किया जाता है पीठ में शामिल


प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पाकिस्तान मुस्लिम लगी-नवाज (पीएमएल-एन) की उपाध्यक्ष मरियम नवाज ने कहा कि, "संस्थाओं का अपमान अंदर से होता है, बाहर से नहीं. एक गलत फैसला पूरे मामले को खत्म कर सकता है. जहां सही फैसले लिए जाते हैं वहां आलोचना की जरूरत नहीं होती है. शीर्ष अदालत में कई सम्मानित न्यायाधीश नियुक्त किए गए थे लेकिन वे पीएमएल-एन के मामलों की सुनवाई में शामिल क्यों नहीं हैं?" उन्होंने कहा, “एक या दो न्यायाधीश जो हमेशा से पीएमएल-एन विरोधी और सरकार विरोधी रहे हैं, उन्हें बार-बार पीठ में शामिल किया जाता है.” मरियम ने कहा कि ‘बेंच फिक्सिंग’ भी ‘मैच फिक्सिंग’ जैसा ही अपराध है. पीपीपी के प्रमुख ज़रदारी और उनके बेटे बिलावल भुट्टो ने भी पंजाब के सीएम के चुनाव के मामले की सुनवाई के लिए पूर्ण पीठ गठित करने की मांग की.


क्यों हो रहा इतना विवाद


दरअसल, यह पूरा विवाद पाकिस्तान के मौजूदा पीएम शहबाज शरीफ के बेटे हमजा शहबाज के पंजाब प्रांत के दोबारा मुख्यमंत्री बनने के बाद से शुरू हुआ है. बता दें कि जब इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया था, तभी उनकी पार्टी के कई विधायकों ने पंजाब में भी मोर्चा खोल दिया था और बागी होकर विरोधी से जा मिले थे. इससे पीटीआई के सीएम को हटना पड़ा था. इसके बाद हमजा शहबाज ने सीएम का पद संभाला था, लेकिन पीटीआई बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने को लेकर कोर्ट पहुंची. कोर्ट के आदेश पर दोबारा चुनाव हुए और उसमें पीटीआई ने अधिकतर सीटें जीत लीं. इसके बाद सीएम के लिए फिर से वोटिंग होनी थी, पिछले दिनों ही सीएम के लिए सदन में वोटिंग हुई. इस दौरान हमजा ने 3 मतों से जीत दर्ज कर सीएम की कुर्सी बचा ली. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि विधानसभा उपाध्यक्ष दोस्त मोहम्मद मजारी ने उनके प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार चौधरी परवेज इलाही के 10 वोटों को खारिज कर दिया था. 368 सीट वाली पंजाब विधानसभा में हमज़ा को 179 वोट मिले, जबकि इलाही को 176 वोट मिले थे.


इसलिए कैंसल हुए 10 वोट


इलाही की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-क्यू (पीएमएल-क्यू) के 10 वोटों को खारिज करने के पीछे की वजह इनका इमरान खान की तरफ झुकना बताया गया है. कहा गया कि इन विधायकों ने अपनी पार्टी के प्रमुख चौधरी शुजात हुसैन के आदेश का उल्लंघन कर इमरान साइड वोट करने की कोशिश की. इस घटना के बाद इमरान खान की पार्टी पीटीआई द्वारा समर्थित उम्मीदवार इलाही ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया.  सोमवार से मामले में सुनवाई शुरू हुई है. 


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