Imran Khan: अपनों से मिल रहे झटकों के बाद नरम पड़े इमरान खान, कहा- ऐसा हुआ तो छोड़ दूंगा राजनीति
Imran Khan: कभी सरकार पर हमला करने वाले इमरान खान अब बदले-बदले से नजर आ रहे हैं. मुश्किल में घिरे इमरान ने बुधवार को कहा कि वह सत्ता में बैठे किसी भी शख्स से बातचीत करने को तैयार हैं.
Pakistan Former PM Imran Khan: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पीटीआई के अध्यक्ष इमरान खान मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं. एक ओर जहां वो पाक सरकार के निशाने पर है तो दूसरी ओर उनके अपने उनका साथ छोड़ते जा रहे हैं. कभी सरकार पर हमला करने वाले इमरान खान अब बदले-बदले से नजर आ रहे हैं. मुश्किल में घिरे इमरान ने बुधवार को कहा कि वह सत्ता में बैठे किसी भी शख्स से बातचीत करने को तैयार हैं.
इमरान खान ने क्या कहा?
पाक मीडिया के अनुसार इमरान खान ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, मैं एक कमिटी का गठन कर रहा हूं. यह दो चीजों पर 'सत्ता में बैठे किसी भी शख्स' से बातचीत करेगी. पहला, अगर उनके मुताबिक यह देश के लिए फायदेमंद है तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा. दूसरा, अगर अक्टूबर में चुनाव होते हैं तो इससे देश को कितना लाभ होगा. हमें इन दो चीजों पर राज़ी करें. अगर उन्हें लगता है और वे कमिटी को यह मनाने में कामयाब हो जाते हैं कि मेरे राजनीति छोड़ने से मुल्क को फायदा होगा तो मैं पीछे हट जाऊंगा और राजनीति छोड़ दूंगा.
इमरान खान का ये बयान फवाद चौधरी के पीटीआई से अलग होने के बाद आया. फवाद चौधरी इमरान सरकार में मंत्री थे. चौधरी ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, मैंने 9 मई की घटनाओं की स्पष्ट रूप से निंदा की थी, मैंने राजनीति से ब्रेक लेने का फैसला किया है, मैंने अपनी पार्टी के पद से इस्तीफा दे दिया है और इमरान खान से अलग हो रहा हूं.
राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) द्वारा पीटीआई प्रमुख इमरान खान को अल-कादिर ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार किए जाने के कुछ घंटे बाद फवाद उन पीटीआई नेताओं की लंबी सूची में शामिल हो गए, जिन्होंने 9 मई को देश भर में हुई तोड़फोड़ और हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद पीटीआई छोड़ने की घोषणा की.
अब तक शिरीन मजारी, फैयाजुल हसन चौहान, मलिक अमीन असलम, महमूद मौलवी, अमीर कयानी, जय प्रकाश, आफताब सिद्दीकी और संजय गंगवानी सहित कई अन्य लोगों ने इमरान खान की पार्टी छोड़ दी है. हालांकि, पीटीआई के अध्यक्ष खान इस पलायन को 'बंदूक के दम पर' जबरन तलाक के रूप में देखते हैं. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह पीटीआई को गुट बनाने का एक प्रयास है, ठीक उसी तरह जैसे पीएमएल-एन को पिछली शताब्दी के मोड़ पर रातोंरात पीएमएल-क्यू में बदल दिया गया था.
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