Pakistan Army: पाकिस्तान को जल्द मिलने वाला है नया आर्मी चीफ, इन 5 में से किसी एक हाथ में आ सकती है सेना की कमान
Pak Army Chief: पाकिस्तान में कहने को तो लोकतंत्र है लेकिन यहां फौज की ताकत किसी से छिपी नहीं है. यही वजह है कि सेना प्रमुख की नियुक्ति काफी चर्चा में रहती है, खासकर इस शक्तिशाली पद से जुड़ी कई छिपी हुई शक्तियों के कारण.
Pakistan News: पाकिस्तान में नया सेना प्रमुख चुनने की कवायद शुरू हो गई है. मौजूदा आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल आगामी 29 नवंबर को खत्म हो जाएगा. लेकिन माना जा रहा है कि नियुक्ति की प्रक्रिया 27 नवंबर से पहले पूरी कर ली जाएगी.
पाकिस्तान में कहने को तो लोकतंत्र है लेकिन यहां फौज की ताकत किसी से छिपी नहीं है. देश में कई बार चुनी हुई सरकार का तख्तापलट हो चुका है. यही वजह है कि देश में सेना प्रमुख की नियुक्ति काफी चर्चा में रहती है, खासकर इस शक्तिशाली पद से जुड़ी कई छिपी हुई शक्तियों के कारण.
पाकिस्तानी मीडिया में कई नाम इस पद के दावेदार बताए जा रहे हैं. ‘डॉन’ ने 16 अगस्त को टॉप जनरलों के बारे में एक खबर छापी थी, जिनमें से एक को जनरल बाजवा की जगह लेनी थी, जबकि दूसरे को ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ (सीजेसीएस) के अध्यक्ष का पद मिलना था.
ये हैं पाक सेना के पांच टॉप जनरल:-
लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर
मुनीर सबसे सीनियर है. लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में उनका चार साल का कार्यकाल जनरल बाजवा की रिटायरमेंट से दो दिन पहले 27 नवंबर को समाप्त होगा. वह दौड़ में हैं क्योंकि सेना प्रमुख के लिए फैसला उनकी रिटायरमेंट से पहले हो जाएगा. नियुक्ति होने पर उन्हें सेवा में तीन साल का विस्तार मिलेगा. लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर को फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट में कमीशन मिला था और जब से उन्होंने जनरल बाजवा के अधीन एक ब्रिगेडियर के रूप में बल की कमान संभाली थी, तब से वह निवर्तमान सीओएएस के करीबी सहयोगी रहे हैं. जनरल बाजवा उस समय एक्स कोर के कमांडर थे.
2017 की शुरुआत में उन्हें सैन्य खुफिया प्रमुख नियुक्त किया गया और अगले साल अक्टूबर में आईएसआई प्रमुख बनाया गया. हालांकि, शीर्ष खुफिया अधिकारी के रूप में उनका कार्यकाल अब तक का सबसे छोटा साबित हुआ, क्योंकि तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के आग्रह पर आठ महीने के भीतर उनकी जगह लेफ्टिनेंट-जनरल फैज हामिद को नियुक्त कर दिया गया था.
लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा
मिर्जा एक ही बैच के अन्य चार उम्मीदवारों में सबसे वरिष्ठ हैं. वह सिंध रेजीमेंट से ताल्लुक रखते हैं. वह 2013-16 से सीओएएस रहे जनरल राहील शरीफ के कार्यकाल के अंतिम दो वर्षों के दौरान महानिदेशक सैन्य अभियान (डीजीएमओ) के रूप में सुर्खियों में आए. उस भूमिका में, वह जीएचक्यू में जनरल शरीफ की कोर टीम का हिस्सा थे, जिसने उत्तरी वजीरिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और अन्य आतंकवादियों के खिलाफ सैन्य अभियान की निगरानी की थी.
उन्होंने जनरल स्टाफ के प्रमुख के रूप में कार्य किया है, और उस भूमिका में वे राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेशी मामलों से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लेने में करीबी रूप से शामिल थे. अक्टूबर 2021 में, उन्हें कोर कमांडर रावलपिंडी के रूप में तैनात किया गया था, ताकि उन्हें परिचालन अनुभव प्राप्त करने और शीर्ष पदों के लिए विचार करने योग्य बनाया जा सके.
डॉन अखबार के मुताबिक, एक सैन्य सूत्र ने उनके बारे में टिप्पणी करते हुए कहा कि वह सीओएएस और सीजेसीएससी के दो पदों में से किसी एक के लिए स्पष्ट रूप से अग्रणी दावेदार हैं.
लेफ्टिनेंट जनरल अजहर अब्बास
यह मौजूदा शीर्ष सैन्य अधिकारियों में से भारत के मामलों में सबसे अनुभवी हैं. वर्तमान में, वह जनरल स्टाफ के प्रमुख (सीजीएस) हैं, और जीएचक्यू में संचालन और खुफिया निदेशालय दोनों के सीधे निरीक्षण के साथ सेना को प्रभावी ढंग से चला रहे हैं.
इससे पहले, उन्होंने रावलपिंडी स्थित, लेकिन कश्मीर-केंद्रित और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण एक्स कोर की कमान संभाली थी, जो दर्शाता है कि उन्हें वर्तमान सेना प्रमुख का पूरा भरोसा प्राप्त है. एक्स कोर के कमांडर के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान भारतीय और पाकिस्तानी सेना के बीच 2003 में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के साथ संघर्ष विराम समझौते का सम्मान करने पर सहमति बनी थी. उन्होंने मुरी स्थित 12वीं इंफेंट्री डिवीजन की कमान भी संभाली, जहां उन पर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की जिम्मेदारी थी.
लेफ्टिनेंट जनरल नौमान अहमद
अहमद बलोच रेजीमेंट से आते हैं. वह वर्तमान में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के अध्यक्ष हैं. उन्हें कमांड एंड स्टाफ कॉलेज, क्वेटा में मुख्य प्रशिक्षक के रूप में काम करने का भी व्यापक अनुभव है. उन्होंने आईएसआई में महानिदेशक (विश्लेषण) के रूप में कार्य किया है और राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से विदेश नीति विश्लेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
दिसंबर 2019 में उन्हें पेशावर स्थित ग्यारहवीं कोर में भेजा गया था. वहां से, उन्होंने पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर सुरक्षा की कमान संभाली और जब अमेरिकी ने अपनी सेना वापस बुला ली तो वहां बाड़बंदी का जिम्मा संभाला.
लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद
हामिद भी बलोच रेजीमेंट से ताल्लुक रखते हैं और शीर्ष पद के प्रतियोगियों के बीच सबसे व्यापक रूप से चर्चित दावेदारों में से एक हैं. जनरल बाजवा और लेफ्टिनेंट जनरल हामिद कथित तौर पर एक-दूसरे को लंबे समय से जानते हैं. ब्रिगेडियर के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल हामिद ने जनरल बाजवा के मातहत एक्स कोर के चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में कार्य किया, जो उस समय कोर की कमान संभाल रहे थे.
सेना प्रमुख के रूप में उनकी पदोन्नति के तुरंत बाद, जनरल बाजवा ने उन्हें आईएसआई में महानिदेशक (काउंटर-इंटेलिजेंस) के रूप में नियुक्त किया, जहां वह न केवल आंतरिक सुरक्षा के लिए बल्कि राजनीतिक मामलों के लिए भी जिम्मेदार थे.
आईएसआई के प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल के अंतिम दौर में, वह इमरान खान और सीओएएस के बीच एक विवाद का केंद्र बन गये, क्योंकि बाजवा ने उन्हें पेशावर कोर के कमांडर के रूप में नियुक्त करने का फैसला किया था और इमरान उन्हें छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे. अंततः उन्हें पेशावर में तैनात किया गया, जहां उन्होंने बहावलपुर कोर में स्थानांतरित होने से पहले एक वर्ष से भी कम समय तक सेवा दी.
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) नेतृत्व के लिए आईएसआई प्रमुख के रूप में पिछली सरकार के कार्यकाल में उनकी भूमिका की अत्यधिक प्रचारित प्रकृति के कारण अगले सीओएएस के पद के लिए उनके नाम पर विचार करना असंभव नहीं तो मुश्किल जरूर हो सकता है.
(इनपुट - भाषा)
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