Pakistan Katcha Gang Crime: पाकिस्तान के बारे में एक सामान्य सी धारणा बनती है कि वहां पर कानून का शासन नहीं है. इस तरह की धारणा के पीछे पुख्ता वजह भी है. चाहे भारत हो. ईरान हो या अफगानिस्तान पाकिस्तान अपने सरहदी इलाकों को अस्थिर करने की कोशिश करता ही रहता है. लेकिन पाकिस्तान खुद तबाह है. यहां हम बात करेंगे कच्छा गैंग की. डॉन के मुताबिक दक्षिण पंजाब के इलाके में बदमाशों और अपहरण के धंधे में शामिल बदमाशों को कच्छा गैंग के नाम से जाना जाता है. इस गैंग के सदस्य सस्ती कारों और हनी ट्रैप के जरिए अपने शिकार को फंसाते हैं. यहां पर हम अरशद महमूद नाम के शख्स की बात करेंगे जो सिंध के उबराव का रहने वाला था और उसका अपहरण 26 जून को हुआ था. अब महमूद कैसे फंसा उसके बारे में वो खुद बताता है. उसके मुताबिक फेसबुक पर सस्ती कार का एड उसने देखा और कच्छा इलाके में पहुंचा. कच्छा इलाके में पहुंचने के बाद उसने व्हाट्सऐप पर अपने बेटे को एक तस्वीर साझा कर कहा कि वो घर देर रात तक पहुंचेगा लेकिन उसका संपर्क परिवार से टूट गया. अपहरकर्ताओं ने उसके परिवार से एक करोड़ की फिरौती मांगी और दहरकी कस्बे में पहुंचने के लिए कहा.


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सस्ती कार और हनी ट्रैप बना हथियार


पीड़ित के परिवार ने अपहरण और फिरौती की जानकारी सिंध पुलिस को दी लेकिन पुलिस वालों से किसी तरह की मदद नहीं मिली. वहीं महमूद का शव रहीम यार खान जिले के मक्छा पुलिस स्टेशन के इलाके में मिला.इसी तरह राजनपुर इलाके में भी घटना हुई. कच्छा गैंग ने दो अरब रिफाइनरी कंपनी के दो कर्मचारियों को सस्ती कार देने का लालच दिया और दोनों का अपहरण कर लिया. पुलिस पीड़ितों को ढूंढने का काम कर रही है लेकिन हाथ नाकामी लगी है.सस्ती कार के साथ साथ वो अपने टारगेट को हनी ट्रैप में भी फंसाते हैं. इस गैंग के सदस्य किसी महिला को टारगेट के पास भेजते हैं.वो उन्हें लुभाने का काम करती है और मौका मिलते ही अपहरण कर लेते है. इससे पहले इस गैंग के सदस्य सिंध नदी के किनारे वाले इलाकों में यात्रियों को लूटा करते थे लेकिन पुलिस की सक्रियता जब बढ़ी तो उन्होंने तरीका बदल लिया. अपहरण का एक और मामला सामने आया जब 16 साल का गुलाम अरबी कच्छा इलाके में एक लड़की से मिलने के लिए गया और उसका अपहरण हो गया. पुलिस का कहना है कि लुंड, इमरानी, शार, मजारी, बालाचानी, लथानी, ताइघयानी, सिखानी, कोश, कोकनी, माछी और बन्नू इलाके में गैंग के सदस्य सक्रिय हैं.


अब तक 57 लोगों की हत्या


पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, साल 2021 और 2022 में राजनपुर और रहीम यार खान के कच्चे इलाकों में 57 लोगों की हत्या की गई और 27 का अपहरण किया गया, जबकि 50 डकैती की घटनाएं सामने आईं.कच्चा क्षेत्र के निषिद्ध क्षेत्र बनने के इतिहास का वर्णन करते हुए, स्थानीय लोगों का कहना है कि गिरोहों की स्थापना आदिवासी संघर्षों के बाद हुई थी जब लोगों ने अपने आदिवासी प्रमुखों के खिलाफ हथियार उठाए थे। समय बीतने के साथ, इन झड़पों के परिणामस्वरूप लोगों की हत्याएं हुईं और अपनी सुरक्षा के लिए लोगों के हथियार बनाने में और वृद्धि हुई. इस हथियारीकरण और झड़पों के परिणामस्वरूप प्रतिद्वंद्वी जनजातियों के लिए निषिद्ध क्षेत्र बन गए और इन प्रतिद्वंद्वी कुलों के सदस्यों को एक-दूसरे के क्षेत्र में जाने की अनुमति नहीं थी. चूंकि रहीम यार खान, राजनपुर, सुई, डेरा बुगती, घोटकी, कंधकोट और काश्मोर के क्षेत्र में कोई नागरिक बुनियादी ढांचा उपलब्ध नहीं था इसलिए आदिवासियों को गिरोह में शामिल होने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा.