Clash between Pakistan Army and Supreme Court: पाकिस्तान में सेना और जुडिशरी में टकराव बढ़ गया है. पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह आर्मी को कोई भी गलत कदम नहीं उठाने देगी. पाकिस्तान के चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल ने गुरुवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट देश के संविधान की रक्षक है और वह अपनी जिम्मेदारी निभाने से पीछे नहीं हटेगा. सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी 9 मई को हुई हिंसा के आरोपियों की मिलिट्री कोर्ट में ट्रायल चलाने के आर्मी के फैसले के बाद आई है. आर्मी के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. 


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आर्मी को गलत कदम उठाने की अनुमति नहीं


पाकिस्तान के चीफ जस्टिस (Pakistani Supreme Court) उमर अता बंदियाल ने गुरुवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट आर्मी (Pakistan Army) को कोई भी असंवैधानिक कदम उठाने की अनुमति नहीं देगी. चीफ जस्टिस ने 9 मई को हुए दंगों को गंभीर और दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए घटना पर अफसोस व्यक्त किया. चीफ जस्टिस ने हिंसा के बावजूद आरोपियों पर गोलियां नहीं चलाने के लिए सशस्त्र बलों की प्रशंसा की. इसके साथ ही स्पष्ट किया कि सेना को कोई भी अवैध कदम उठाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.


नागरिकों पर सैन्य अदालत में नहीं होगी सुनवाई


उन्होंने (Pakistani Supreme Court) यह भी कहा कि न्यायाधीशों की अनुपलब्धता के कारण करीब 2 सप्ताह तक इस मामले की सुनवाई नहीं होगी. उन्होंने पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल (एजीपी) उस्मान अवान से यह सुनिश्चित करने को कहा कि इस अवधि के दौरान नागरिकों पर मुकदमा नहीं चलाया जाए. उन्होंने कोर्ट में मौजूद अटॉर्नी जनरल से कहा, 'एजीपी साहब, अदालत के अगले आदेश तक नागरिकों पर कोई सैन्य सुनवाई नहीं की जाए.' अवान ने अदालत को आश्वासन दिया कि उसके निर्देशों का पालन किया जाएगा. 


सेना की हिरासत में 102 आरोपी


चीफ जस्टिस बंदियाल ने यह भी कहा कि सैन्य अधिकारियों (Pakistan Army) की हिरासत में कैद संदिग्ध आरोपियों को प्रासंगिक सुविधाएं प्रदान करने के पहले के आदेश यथावत रहेंगे. फिलहाल कम से कम 102 नागरिक सेना की हिरासत में बताए जाते हैं. सरकार उन आरोपियों पर सेना अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने पर अड़ी है, वहीं मानवाधिकार समूह इस कदम का विरोध कर रहे हैं. पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान इसे शहबाज सरकार की जनता के साथ निजी अदावत करार दे रहे हैं. 


9 मई को देशभर में हुए थे प्रदर्शन


बताते चलें कि 9 मई को पाकिस्तान के अर्धसैनिक बल पाकिस्तान रेंजर्स (Pakistan Army) की ओर से इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद देशभर में उनके समर्थकों ने हिंसक विरोध  प्रदर्शन किया था. इस विरोध प्रदर्शन में रावलपिंडी में सेना मुख्यालय समेत 20 से ज्यादा सैन्य प्रतिष्ठान और राज्य भवन क्षतिग्रस्त हो गए या उनमें आग लगा दी गई. इस हिंसा पर सरकार और सेना ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का ऐलान किया था. इसके बाद आरोपियों पर मिलिट्री कोर्ट में ट्रायल शुरू किया गया. 


(एजेंसी इनपुट)