Pakistan Economic Crisis: आर्थिक संकट में फंसे पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से कम होता जा रहा है. यही नहीं पाकिस्तानी करेंसी डॉलर के मुकाबले ऐतिहासिक निचले स्तर पर कारोबार कर रही है. पाकिस्तान को अभी जल्द से जल्द विदेशी मुद्रा की जरूरत है और उसके पास अब आईएमएफ के अलावा कोई विकल्प बचा नहीं है. आईएमएफ से फंड लेने के लिए पाकिस्तान सरकार कई स्तर पर समझौता कर रही है और आईएमएफ की शर्तों का पालन कर रही है. इसी कड़ी में संकट से उबरने के लिए अब शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली मौजूदा गठबंधन सरकार आईएमएफ के निर्देशों और शर्तों के अनुसार बजट पेश करने को भी मजबूर है. सरकार चाहकर भी खुद बजट तय नहीं कर पा रही है. 


इमरान खान को ठहराया बदहाली के लिए जिम्मेदार


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जलवायु परिवर्तन के संघीय मंत्री सीनेटर शेरी रहमान ने इमरान खान के नेतृत्व वाली पूर्व पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार को देश को खतरनाक रूप से दिवालिया होने के करीब धकेलने का दोषी ठहराया. वित्तीय वर्ष 2022-23 के संघीय बजट पर नेशनल असेंबली की आम बहस गुरुवार को बिना कोरम के लगभग तीन घंटे तक चली. इसमें रहमान ने कहा कि, "यह बिल्कुल आईएमएफ बजट है. इसमें कोई संदेह नहीं है." रहमान के अलावा लगभग अन्य सांसदों ने भी देश की अर्थव्यवस्था को कथित तौर पर बर्बाद करने के लिए पीटीआई शासन और पूर्व पीएम इमरान खान की आलोचना की.


दिखाई टैक्स जुटाने की प्रतिबद्धता


इन सबके बीच, नकदी की तंगी को खत्म करने के लिए 6 अरब डॉलर के रुके हुए सहायता पैकेज को फिर से शुरू करने और अन्य अंतरराष्ट्रीय स्रोतों से वित्त पोषण के लिए दरवाजे खोलने के लिए बुधवार को पाकिस्तान ने विदेशी मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ एक समझौता किया. आईएमएफ स्टाफ मिशन और वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल के नेतृत्व वाली पाकिस्तानी टीम 2022-23 के बजट पर सहमत हुए थे. इसमें 436 बिलियन पाकिस्तानी रुपये (पीकेआर) का टैक्स जुटाने की प्रतिबद्धता दिखाई गई है. इसके लिए पेट्रोलियम लेवी को धीरे-धीरे बढ़ाकर 50 रुपये प्रति लीटर किया गया है.


अभी चाहिए 1 बिलियन डॉलर


बता दें कि जुलाई 2019 में आईएमएफ और पाकिस्तान के बीच 39 महीने की अवधि के लिए 6 बिलियन डॉलर की विस्तारित फंड सुविधा सौदे पर सहमति हुई थी. अभी तक गारंटीड राशि का केवल 50 प्रतिशत ही भुगतान किया गया है. पाकिस्तान को अपने घटते विदेशी मुद्रा भंडार का समर्थन करने के लिए तत्काल 1 बिलियन डॉलर की जरूरत है. अगले कुछ दिनों में आईएमएफ मिशन और स्टेट बैंक मौद्रिक लक्ष्यों को अंतिम रूप देंगे. इसके बाद दोनों की ओर से आर्थिक और वित्तीय नीति (एमईएफपी) के ज्ञापन का मसौदा साझा किया जाएगा.