पेरिस: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को बड़ा झटका लगा है. उनकी कोशिशों को अपर्याप्त बताते हुए  वैश्विक धनशोधन और आतंकवादी वित्तपोषण निगरानी तंत्र (FATF) ने उसे कोई राहत नहीं दी है, बल्कि जून तक के लिए उसे ग्रे लिस्ट में ही रखा है. यही नहीं, अगर जून तक अपने किये वादे को पाकिस्तानी सरकार पूरा नहीं कर पाती है, तो उसे ब्लैक लिस्ट में भी डाला जा सकता है. पाकिस्तान खो 27 सूत्रीय एजेंडे पर काम करने को कहा गया था, लेकिन अभी वो 24 पॉइंट्स पर ही काम कर पाया है. 


पाकिस्तान को थी राहत मिलने की उम्मीद


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पाकिस्तान (Pakistan) सरकार को उम्मीद थी कि इस बार वो एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से निकलने में सफल रहेगा, लेकिन पश्चिमी देशों के विरोध के चलते ऐसा नहीं हो सका. अब जून 2021 तक पाकिस्तान को पूरे एक्शन प्लान पर अमल करना होगा. आधिकारिक बयान के मुताबिक, 'पेरिस स्थित वित्तीय कार्यबल (एफएटीएफ) ने जून 2018 में पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' में रखा था और तब पाकिस्तान ने स्थिति में सुधार का वादा किया था. उसके बाद से पाकिस्तान ने आतंकवाद के वित्तपोषण पर रोक लगाने की कोशिश की है. कई बड़े आतंकवादियों को जेल की सलाखों के पीछे भी भेजा है, लेकिन ये काफी नहीं है.'


तीन सूत्रीय एजेंडे पर ज्यादा देना है जोर


पाकिस्तान को जिस 27 सूत्रीय एजेंडे के मुताबिक काम करना था, उसमें से 24 सूत्रीय काम पूरे हो चुके हैं. लेकिन अब पाकिस्तान को तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर काम करने की जरूरत है. जिसमें पहला है- प्रमुख आतंकवादियों के नाम पर काम कर रहे लोगों पर कार्रवाई. जैसे हाफिज सईद का कामकाज संभाल रहे व्यक्तियों पर कार्रवाई. दूसरा- सरकार की कार्रवाई सही तरीके से हो और प्रतिबंधों का पालन भी सही तरीके से हो. ऐसा न हो कि कार्रवाई मात्र दिखावे की रहे. पेरिस में एफएटीएफ के पूर्ण सत्र के समापन के बाद आधिकारिक तौर पर कहा गया कि अभी तक, पाकिस्तान ने सभी कार्रवाई योजनाओं में प्रगति की है और अब तक 27 में से 24 कार्रवाई पूरी कर ली है. पूरी कार्रवाई योजना के लिए समयसीमा पूरी हो चुकी है.' लेकिन जून तक आखिरी बार समय दिया गया है. एफएटीएप ने कहा कि आतंक के वित्तपोषण पर रोक लगाने में पाकिस्तान की ओर से गंभीर खामी है और संयुक्त राष्ट्र द्वारा सूचीबद्ध आतंकवादियों और उनके सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई करना अभी बाकी है. 


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साल 2018 से ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान


पेरिस स्थित वित्तीय कार्यबल (एफएटीएफ) ने जून 2018 में पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में रखा था और इस्लामाबाद (Islamabad) को 2019 के अंत तक धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण पर लगाम लगाने के लिए कार्ययोजना को लागू करने के लिए कहा था, लेकिन बाद में कोविड-19 महामारी के कारण यह समयसीमा बढ़ा दी गई थी.