नई दिल्ली: चीन ने ऐसा जाल बिछाया है कि पाकिस्तान (Pakistan) की ‘किस्मत’ अब चीन (china) के भरोसे है. यह हम नहीं कह रहे हैं, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) खुद ऐसा कह चुके हैं. इमरान ने साल की शुरुआत में ही इसके संकेत दे दिए थे कि वह अब पैसों के लिए पूरी तरह चीन पर निर्भर होते जा रहे हैं लेकिन इतिहास गवाह है कि चीन पर निर्भरता सबसे बड़ी बेवकूफी साबित होगी.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

चीन की चाल
चीन ने अपनी चाल चल दी है. पहले पाकिस्तान को लोन के जाल में फंसाया अब पाकिस्तान से ज्यादा ब्याज मांग रहा है. पाकिस्तान को लोन देकर जिन परियोजना में सहयोग का चीन भरोसा दे रहा था अब उनमें अड़चन पैदा करना शुरू कर दिया है. चीन के कर्ज के तले पाकिस्तान बुरी तरह दबता जा रहा है.


यह भी पढ़ें; अधिकारियों पर भड़के गडकरी, 'देरी करने वालों की तस्वीर लगनी चाहिए ऑफिस में'


मांग रहा ज्यादा ब्याज
पाकिस्तान का दक्षिण में कराची से लेकर उत्तर में पेशावर तक मेन रेलवे लाइन प्रोजेक्ट चल रहा है. इसके लिए चीन ने पाकिस्तान को लोन दिया था. 2600 किलोमीटर से अधिक लंबे रेलवे ट्रैक की लागत 6.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर है. तय हुआ था कि लागत का केवल 10 प्रतिशत पाकिस्तान वहन करेगा जबकि शेष धन चीन ऋण के रूप में देगा. पाकिस्तान इस कर्ज पर 1 फीसदी ब्याज देना चाहता है लेकिन अब चीन ने ब्याजदर बढ़ा दी है. जब पाकिस्तान उसके जाल में फंस गया तो बीच में ही लोन की किश्तें रोक रहा है. अब चीन पाकिस्तान को तब तक परेशान करना चाहता है जब तक कि वह घुटनों पर न आ जाए.


उधारी के बोझ तले दबा
पाकिस्तान को इस प्रोजेक्ट की बेहद आवश्यकता है. पाकिस्तान के रेल मंत्री का दावा है कि इस पहल से 1,50,000 नौकरियां पैदा होंगी. हालांकि यह अनुमान हवाई है. जनवरी 2021 से कंस्ट्रक्शन शुरू होना था लेकिन अब मामला लटक गया है. उधारी के बोझ तले पाकिस्तान ने जी -20 से संपर्क किया है. वहां से 3.2 बिलियन डॉलर की राहत मिल गई है.


पाकिस्तान की मजबूरी
बीते पांच वर्षों के दौरान शुरू चीन-पाकिस्तान आर्थिक समझौतों के तहत तमाम परियोजनाएं अधर में हैं. इनका 30 फीसदी से भी कम काम पूरा हो पाया है. चीन ने पाकिस्तान को लोन के जाल में बुरी तरह फंसा लिया है. इन प्रोजेक्ट को पूरा करना पाकिस्तान की मजबूरी है. इसी बात को चीन भली भांति समझता है.