Pakistan News:  पाकिस्तान पुलिस का एक बेहद शर्मनाक वीडियो वायरल हो रहा है. इसमें पुलिस एक बुजुर्ग महिला के साथ बदतमीजी की के साथ पेश आती दिख रही हैं. महिला की बेटी जब इस पूरी घटना इसका वीडियो बनाने लगी तो एक पुलिस अधिकारी खिड़की को पर्दे से ढंक देता है. इस वीडियो के सामने आने के बाद पाकिस्तानी पत्रकार जुनैरा अजहर का  पर्दा फेर देता है. उन्होंने ट्वीटर पर एक वीडियो शेयर का पुलिस की गलत कार्रवाई के खिलाफ आवाज बुलंद की है.


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यह वीडियो दरअसल पीटीआई नेता उस्मान डार के सियालकोट स्थित घर का है. जहां पुलिस ने 9 मई को इमरान खान की गिरफ्तारी के छापेमारी की थी. पीटीआई ने पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए ट्वीट किया था, ‘सियालकोट: पुलिस ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता उस्मान डार के आवास पर छापा मारा। डार भाइयों की मां को चादर और चारदीवारी की पवित्रता का उल्लंघन करके परेशान किया गया।‘


पाकिस्तीन पत्रकार ने की पुलिस कार्रवाई की तीखी निंदा
पाकिस्तानी पत्रकार सवाल करती हैं कि यह किस तरह की मानसकिता है जो पुलिस एक मां, एक बुजुर्ग महिला के साथ ऐसा सलूक कर रही है. वह ऐसी ही एक और घटना का जिक्र अपनी वीडियो में करती हैं जब इस्लामाबाद में भी महिला प्रदर्शनकारियों को घसीट कर कब्रिस्तान में ले जाने की कोशिश की, जो कि बिल्कुल सड़क के साथ ही था. बाद में महिला प्रदर्शनकारियों ने रोते हुए मीडिया को जानकारी दी कि पुलिस हमें उस कब्रिस्तान में लेकर जा रहे थे जहां पर कई शहीदों के कब्र हैं.’


 



पाकिस्तानी पत्रकार सवाल करती हैं कि, ‘ये जो पुलिसवाला है इसका अपना कोई जमीर नहीं है. ये कौन लोग हैं जो कि न मां देखते हैं न बहन देखते हैं, और इनके सर पर औरत का एक ही रूप सवार है कि जहां मौका मिले उसके साथ जो मर्जी कर लो.’


मानवाधिकार आयोग ने की गिरफ्तारियों की निंदा
न्यूज एजेंसी एएनई के मुताबिक पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने पूरे पाकिस्तान में  PTI  कार्यकर्ताओं की अचानक गिरफ्तारी और उनके खिलाफ दायर मामलों की खबरों पर गहरी चिंता व्यक्त की है. एचआरसीपी ने चिंता जताते हुए कई ट्वीट किए हैं और इस घटना को सभी ‘लोकतांत्रिक मानदंडों’ के खिलाफ करार दिया है.


एचआरसीपी ने ट्वीट किया है, ‘एचआरसीपी पूरे पाकिस्तान में पीटीआई कार्यकर्ताओं के खिलाफ गिरफ्तारी और मनमाने ढंग से दर्ज किए गए मामलों की रिपोर्ट से बहुत चिंतित है. हिंसा का सहारा लेने वालों और अहिंसक राजनीतिक कार्यकर्ताओं के बीच हमेशा अंतर किया जाना चाहिए.‘