गिलगित-बाल्टिस्तान: इमरान खान और पाकिस्तानी सेना पर भड़कीं मरयम नवाज
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Pakistan Prime Minister Imran Khan) पर विपक्षी दलों के हमले तेज हो गए हैं.
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Pakistan Prime Minister Imran Khan) पर विपक्षी दलों के हमले तेज हो गए हैं. पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज की उपाध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरयम नवाज (Pakistan Muslim League-Nawaz vice president Maryam Nawaz) ने बुधवार को इमरान और पाकिस्तानी सेना (Pakistani Army) पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि राजनीतिक फैसले संसद में होने चाहिए न कि सैन्य मुख्यालय में.
46 वर्षीय मरयम संपत्ति से जुड़े विवाद के सिलसिले में इस्लामाबाद कोर्ट पहुंची थीं. इस दौरान जब पत्रकारों ने उनसे हाल ही में सेना मुख्यालय में हुई अहम बैठक के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि राजनीतिक फैसले संसद में होने चाहिए न कि सैन्य मुख्यालय में. इस बैठक में सेना प्रमुख जनरल कमर बाजवा (Army Chief Gen Qamar Bajwa), आईएसआई चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद (Lt Gen Faiz Hameed) सहित कुछ चुनिंदा नेता शामिल थे.
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गिलगित-बाल्टिस्तान राजनीतिक मुद्दा
मरयम नवाज ने कहा, ‘मैंने बैठक के बारे में सुना है. जहां तक मुझे पता है गिलगित-बाल्टिस्तान (Gilgit-Baltistan) पर चर्चा के लिए यह बैठक बुलाई गई थी. गिलगित-बाल्टिस्तान एक राजनीतिक मुद्दा है और ऐसे मुद्दे सैन्य मुख्यालय में नहीं बल्कि संसद में हल होते हैं’. उन्होंने आगे कहा कि ऐसे मामलों में सेना को नेताओं को नहीं बुलाना चाहिए था और न ही नेताओं को वहां जाना चाहिए था.
चर्चा करनी है तो संसद आएं
क्या नवाज शरीफ (Nawaz Sharif) को बैठक की जानकारी थी? इस सवाल के जवाब में मरयम ने कहा कि ‘मुझे नहीं पता कि उन्हें जानकारी थी या नहीं, लेकिन सेना को ऐसे मामलों में राजनीतिक नेतृत्व को नहीं बुलाना चाहिए और न ही नेताओं को वहां जाना चाहिए. जो भी इन मुद्दों पर चर्चा करना चाहता है, उसे संसद आना चाहिए’.
15 नेता हुए थे शामिल
यह बैठक विपक्ष के सर्वदलीय सम्मेलन से पहले 16 सितंबर को आयोजित की गई थी. बैठक में नवाज शरीफ के छोटे भाई शहबाज शरीफ और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी सहित लगभग 15 नेताओं ने भाग लिया था. रेलमंत्री शेख रशीद (Pak Railways Minister Sheikh Rashid) ने मीडिया को बताया था कि बैठक का उद्देश्य गिलगित-बाल्टिस्तान की संवैधानिक स्थिति पर चर्चा करना था, लेकिन अन्य राजनीतिक मुद्दों पर भी चर्चा हुई.