China Job Crisis: दुनिया को कोरोना महामारी का दंश देने वाले चीन पर आर्थिक मंदी का खतरा मंडरा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एजुकेशन, प्रॉपर्टी, हेल्थ, टेक्नालजी जैसे क्षेत्रों में हालात बिगड़ने शुरू हो गए हैं. बीजिंग समेत पूरे देशभर में बेरोजगारी और महंगाई चरम पर है. जिससे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) की मुश्किलें बढ़ गई हैं. इन मुसीबतों की वजह से लोगों को डिप्रेशन में जाने खतरा है. इस बीच कम्युनिस्ट देश चीन में एक ऐसा ट्रेंड शुरू हुआ है, जिस पर खुद वहां के हुक्मरानों को भी यकीन नहीं हो रहा होगा.


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अध्यात्मिक शक्तियों से होगा बेड़ा पार?


'द गार्जियन' में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक चीनी युवा खुद को मानसिक रूप से मजबूत करने के लिए धर्म और अध्यात्म का सहारा ले रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि बेरोजगारी से हताश-निराश युवा अब अपनी काबिलियत यानी पढ़ाई-लिखाई की जगह देवी-देवताओं पर भरोसा कर रहे हैं. चीन के ट्रैवल प्लेटफार्म के डेटा के मुताबिक 2022 के मुकाबले इस साल की शुरुआत से ही देश में मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों पर जाने वालों की संख्या बढ़ गई है. खासकर 16 से 24 साल की पीढ़ी में देश की बढ़ती समस्याओं ने धर्म के प्रति आस्था जगा दी है.


हैरान कर रहे आंकड़े


रिपोर्ट्स के मुताबिक इस साल अभी तक देश के मंदिरों में दर्शन करने वालों की संख्या में 367 फीसदी से ज्यादा इजाफा हुआ है. मंदिर जाने वाले इन युवाओं में आधे से ज्यादा लोगों का जन्म 1990 के बाद हुआ है. हालांकि इस मामले को लेकर कुछ लोगों का यह कहना है कि युवाओं में मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों में ज्यादा जाने की वजह देश की समस्याएं नहीं बल्कि कोरोना के काबू में आने के बाद अधिकांश पर्यटन और सांस्कृतिक स्थलों का खुलना हो सकती है, क्योंकि दिसंबर में जीरो कोविड पॉलिसी हटा ली गई थी. 


इस साल जनवरी से मई के बीच करीब 25 लाख लोगों ने सिचुआन स्थित माउंट एमी का दौरा किया, जो चीनी बौद्ध धर्म के चार पवित्र पहाड़ों में से एक है. ये आंकड़ा कोरोना महामारी की शुरुआत से पहले साल 2019 की समान अवधि की तुलना में 50% अधिक है.