China Censors Poverty: न्यूज़ चैनल हो या सोशल मीडिया, यहां गरीबी की बात करना गुनाह! उदास चेहरे दिखाए तो...
China Censors poverty: दुनिया में कई तानाशाह हुए हैं, जिन्होंने अपना नाम मिट्टी में मिला दिया. जमाना बदला तो मानो लोकतंत्र के दौर में तानाशाहों ने भी काम करने का तरीका बदल लिया. आज भी कुछ लोग हैं जो व्हाइट कॉलर जॉब (Politics) की आड़ में लोगों की आंखों में धूल झोंककर उनकी जिंदगी नर्क बनाए हुए हैं.
China's Censors Are Deleting Videos About Poverty: चीन में गरीबी (Poverty in China) की बात करना किस कदर गुनाह है कि जिसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है. चीन में गरीबी खत्म हो गई है या बस कुछ ही दिन में खत्म होने वाली है, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) के इस झूठे नैरेटिव को सेट करने में बीजिंग का सरकारी मीडिया खुलकर अपने आका के पक्ष में बैटिंग कर रहा है. कुछ दिन पहले ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट में चीन सरकार के हवाले से दावा किया गया था कि 2022 में करीब साढ़े तीन करोड़ ग्रामीण प्रवासी श्रमिकों को बढ़िया रोजगार देकर उन्हें गरीबी की रेखा से बाहर निकालने में कामयाबी हासिल की गई है. इसी अखबार में चीन के ग्रामीण इलाकों में रह रहे लोगों की खुशहाली के दावे बढ़ा-चढाकर किए जाते हैं. जबकि हकीकत इसके एकदम विपरीत है.
गरीबी हटाने की 'शी' फार्मुला
सीएनएन की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन के बड़े शहरों में 5 में से हर एक युवा बेरोजगार है. बीजिंग चाहता है कि वे खेतों में काम करें. चीन में बेरोजगारी चरम पर है. ऐसे में चीन के सबसे अमीर प्रांत Guangdong ने एक विवादास्पद समाधान पेश किया है. उसकी योजना में तीन लाख बेरोजगार युवाओं को काम खोजने के लिए दो से तीन साल के लिए ग्रामीण इलाकों में भेजने की तैयारी है. चीनी मैनुफेक्चरिंग पावर हाउस ग्वांगडोंग (China's manufacturing powerhouse Guangdong) के अधिकारियों ने पिछले महीने कहा था कि ऐसा करने से कॉलेज के स्नातकों और युवा उद्यमियों को गांवों में काम खोजने में मदद मिलेगी. इसी मंच से शहरों में रह रहे ग्रामीण युवाओं को रोजी रोटी की तलाश में वापस अपने घर लौटने के लिए प्रोत्साहित किया गया था.
गरीबी हटाने का शी जिनपिंग का झूठ बेनकाब
दरअसल गरीबी चीन में वर्जित विषय बन गई है, जिस पर चर्चा सरकार को कतई पसंद नहीं है. चीन के इंटरनेट नियामक साइबरस्पेस प्रशासन ने हाल ही में अपने एक बयान में कहा है कि वो उन लोगों पर सख्त कार्रवाई करेगा, जो सरकार की छवि बिगड़ने वाले वीडियो पोस्ट करते हैं. सरकारी निगरानी के दायरे में अब किसी की मायूसी को दिखाना, उकसाना या देश के आर्थिक सामाजिक विकास को कोसने वाले वीडियो को दिखाना दंडनीय अपराध होगा.
चीनी बुजुर्गों की पेंशन बस 2000 रुपये
सरकार की 2021 की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन के ग्रामीण बुजुर्गों की पेंशन बस 2000 रुपए महीना है. जो औसत शहरी रिटायर्ड को मिलने वाली राशि का 5% है. चीन के एक बड़े नेता ने कुछ समय पहले कहा था कि चीन में 60 करोड़ लोग (यानी 40% आबादी) की मासिक आमदनी 12 हजार रुपये से भी कम है. देश के सरकारी अखबार में छपी इस रिपोर्ट को फेक न्यूज बताकर खारिज कर दिया गया था.
गरीबों और गरीबी से नफरत करते हैं शी जिनपिंग?
इसी योजना के तहत बुजुर्ग, दिव्यांगों और बच्चों को उदास दिखाने वाले वीडियो बैन कर दिए गए हैं. इसका मकसद बस इस बात का प्रचार करना है कि शी जिनपिंग के शासन में सब कुछ ठीक है, मानो वहां रामराज आ गया है और वो परमेश्वर की तरह प्रजा का पालन कर रहे हैं. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के मारोट रॉबर्स के मुताबिक ऐसा करके चीन की सरकार अपने यूजर्स को डरा रही है कि अगर कोई सेंसरशिप तोड़ने की कोशिश करेगा तो उसे वर्चुअल वर्ल्ड से मिटा दिया जाएगा.
सोशल मीडिया पर सेंसरशिप और लोगों में घबराहट
चीन में सेंसरशिप का मुद्दा नया नहीं है. दरअसल यहां अखबार, रेडियो, टीवी और डिजिटल मीडिया हर चीज के मायने बस 'शी' ही हैं. यहां सर्च इंजन भी चीन का है तो लोग चीनी सोशल मीडिया ही इस्तेमाल करते हैं. 1999 का तियानमेन नरसंहार कांड हो या उइगर मुस्लिमों पर अत्याचारों की लंबी फेरहिस्त या फिर कोरोना काल में लोगों की मौत का सही डाटा हर मामले की सच्चाई को दबा दिया गया है. ताकि चीन की छवि बिगाड़ने वाली बातें कभी दुनिया को न पता चल सकें.
डिलीट हो रहा गरीबी दिखाने या बताने वाला कंटेट
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक एक सोशल मीडिया एन्फ्लुएंसर ने बस 1200 रुपये में गुजारा करने वाली एक बुजुर्ग महिला का वीडियो शेयर किया तो उसके सारे सोशल मीडिया अकाउंट डिलीट कर दिए गए. ऐसे ही एक अन्य मामले में जब एक सिंगर ने अपने वीडियो में कहा मैं हर दिन चेहरा धोता हूं, पर मेरी जेब मेरे चेहरे से ज्यादा साफ है. तो उनके इस गाने पर भी बैन लगाकर उनके भी सारे सोशल मीडिया अकाउंट्स सस्पेंड कर दिए गए.
चीन के सर्च इंजन में झूठ का पुलिंदा
चीन के सबसे बड़े सरकारी पोर्टल पर 'गरीबी' कीवर्ड सर्च करने पर ऐसी झूठी और मनगढ़ंत खबरें सामने आती हैं कि एक बार तो आपकी रूह भी कांप जाएगी. दरअसल चीन में गरीबी की वर्ड दिखते ही अमेरिका की गरीबी के झूठे और मनगढ़ंत किस्से चीन में मौजूद लोगों को दिखने लगते हैं. ऐसी सर्च हिस्ट्री से चीनी लोगों में फेक न्यूज फैलाई जाती है कि अमेरिका में मौतों को चौथी बड़ी वजह गरीबी है. इस प्रोपेगेंडा से चीन क्या साबित करना चाहता है ये बस शी जिनपिंग जानते हैं.
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