China-Taiwan Clash: ताइवान के एक नेता के कारण चीन खौफ में है. दरअसल ये नेता ताइवान में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में सबसे पसंदीदा चेहरा माना जा रहा है. इस नेता का नाम है विलियम लाई, जिनको चिंग-ते के नाम से भी जाना जाता है. वह साल 2020 से ताइवान के उपराष्ट्रपति हैं और अब सबसे बड़े पद की रेस में हैं.  


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चीन को इस बात का खौफ सता रहा है कि अगर विलियम लाई ताइवान के राष्ट्रपति बनते हैं तो युद्ध के बादल बरस सकते हैं. लेकिन उसकी ये सारी बातें भीदड़भभकी ही लगती हैं, क्योंकि कुछ ही वक्त पहले लाई अमेरिकी दौरे पर थे. ड्रैगन की आग लाई पर इसलिए भी बरस रही है क्योंकि वह एक समझदार नेता हैं.


इस महीने विलियम लाई सैन फ्रांसिस्को और न्यूयॉर्क गए थे, तब चीन के विदेश मंत्रालय ने खूब हो हल्ला किया था. चूंकि ताइवान और अमेरिका के बीच कोई औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं इसलिए दोनों देशों ने इस दौरे को ट्रांजिट स्टॉप कहा था.


विलियम लाई के अमेरिकी दौरे से चीन आगबबूला है. उसने विलियम लाई को आजादी की चाहत रखने वाला अलगाववादी तक कह दिया. उसने एक्शन लेने की धमकी भी दी.


अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से चीनी अफसरों ने कहा कि विलियम लाई के दौरे से दोनों देशों के रिश्ते और खराब हो सकते हैं.


गौरतलब है कि लाई ने अमेरिकी-ताइवानी कम्युनिटी के साथ न्यूयॉर्क में लंच भी किया था. वे जिस होटल में थे, उसके बाहर चीन समर्थकों ने लाई और उनकी पार्टी डेमोक्रेटिक पीपुल्स पार्टी के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया था.


चीन को दिया सख्त मैसेज


वहीं लाई भी लंच के दौरान चीन को खरी-खरी सुनाने में पीछे नहीं रहे. उन्होंने कहा कि हमें पूरी दुनिया से समर्थन मिल रहा है और यह संकेत देता है कि हमारा देश अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय का अहम हिस्सा है. अगर ताइवान सुरक्षित है तो दुनिया भी सुरक्षित है. ताइवान जलडमरूमध्य में शांति है तो दुनिया में भी शांति होती है.


उन्होंने आगे बताया कि कैसे ताइवान तानाशाही से लोकतंत्र के रास्ते तक पहुंचा और फिर एक छोटे से द्वीप देश ने आर्थिक और तकनीकी प्रगति की. उन्होंने बाकी देशों की सहायता के लिए उनको धन्यवाद भी दिया.


लाई ने कहा कि हमारा मकसद देश की रक्षा, शांति और समृद्धि को बढ़ावा, लोकतंत्र और ताइवान के लोगों को स्वतंत्रता की हवा में सांस लेने की इजाजत देना है. अपने मकसद तक पहुंचने के लिए हमें नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर एकजुटता दिखानी चाहिए.


उन्होंने कहा, हमें इस सच को स्वीकार कर लेना चाहिए कि ताइवान एक संप्रभु, स्वतंत्र देश है, जिसे चीन गणराज्य कहा जाता है. मगर यह पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के अधीन नहीं है. आरओसी और पीआरसी दोनों एक-दूसरे से अलग हैं. आजादी का ऐलान करना भी जरूरी नहीं है.


कौन हैं विलियम लाई


गौरतलब है कि लाई पीएम बनने से पहले साल 1999 से लेकर 2010 तक विधायी युआन में एमएलए रह चुके हैं. इसके अलावा 2010 से लेकर 2017 तक उन्होंने ताइनानके मेयर का कामकाज संभाला था. साल 2018 में जब उनकी पार्टी को स्थानीय चुनावों में हार का सामना करना पड़ा तो उन्होंने प्रीमियर के पद से रिजाइन कर दिया.