बीजिंग: चीन (China) को उम्मीद थी कि अमेरिका (America) में हुआ सत्ता परिवर्तन उसके लिए कुछ सुकून लेकर आएगा और इंडो-यूएस (Indo-US) के मजबूत संबंध प्रभावित होंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने साफ कर दिया है कि भारत (India) उनके लिए अहम साझेदार है और दोनों देशों के रिश्ते मजबूत बने रहेंगे. वहीं, अमेरिका के नए रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि चीन की दादागिरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. ‘नए अमेरिका’ के नई दिल्ली के प्रति इस झुकाव से बीजिंग बौखला गया है और इसी बौखलाहट में वह भारत के खिलाफ बयानबाजी कर रहा है.  


China को इसका है डर 


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चीन (China) को यह डर भी सता रहा है कि भारत अमेरिका के साथ मिलकर तिब्बत के मुद्दे पर उसे घेर सकता है. इसलिए उसने दबाव की रणनीति के तहत धमकाने का खेल फिर शुरू कर दिया है. चीन की कम्युनिस्ट सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स (Global Times) ने लिखा है कि कुछ भारतीय विशेषज्ञों ने भारत सरकार को अमेरिका के साथ मिलकर तिब्बत कार्ड (Tibet Card) खेलने का सुझाव दिया है. लेकिन यदि भारत ने ऐसा किया तो दोनों देशों के बीच रिश्ता पूरी तरह खत्म हो जाएगा. अखबार का कहना है कि तिब्बत चीन का हिस्सा है और उस पर किसी की दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.


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War की दी धमकी


ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख में कहा गया है, ‘भारत में ब्रह्मा चेलानी जैसे कुछ भूराजनीतिज्ञों ने कहा है कि भारत सरकार को अमेरिका के साथ मिलकर तिब्बत कार्ड खेलना चाहिए. उन्होंने अमेरिका के तिब्बत कानून का लाभ उठाने की भी सलाह दी है. पूर्व भारतीय कूटनीतिज्ञ दीपक वोहरा (Deepak Vohra) ने यहां तक लिखा है कि यदि तिब्बत अलग रास्ता चुनता है तो चीन के टुकड़े हो जाएंगे या फिर उसे साम्यवाद छोड़ना होगा और दुनिया अधिक सुरक्षित जगह हो जाएगी. लेकिन हम बताना चाहेंगे कि तिब्बत चीन का हिस्सा है और भारत सरकार लंबे समय से इसे मान्यता देती आई है. यदि नई दिल्ली इन विशेषज्ञों की सलाह को मानती है, तो भारत-चीन के रिश्ते पूरी तरह खत्म हो जाएंगे और नई दिल्ली युद्ध को भड़काएगी’.


‘ये लोग आग से खेल रहे हैं’


लेख में आगे कहा गया है कि भारत ने चीन को परेशान करने और व्यक्तिगत लाभ अर्जित करने के लिए तिब्बत कार्ड खेलना छोड़ा नहीं है. भारत के कुछ भूराजनीतिज्ञों को तिब्बत की समझ नहीं है. तिब्बत कार्ड खेलकर कुछ भारतीय चीन को मजबूर करना चाहते हैं कि वो कश्मीर को भारत के हिस्से के रूप में मान्यता दे, लेकिन इन लोगों ने कभी महसूस नहीं किया कि तिब्बत का प्रश्न भारत-चीन संबंधों के लिए कितना संवेदनशील है. ये लोग आग से खेल रहे हैं.  


Thorny Issues का दिया हवाला


धमकी भरे अंदाज में चीनी अखबार ने लिखा है कि बीजिंग इसके बदले में कई कदम उठा सकता है, लेकिन आमतौर पर, हम इन उपायों का उपयोग नहीं करते. उदाहरण के तौर पर कश्मीर वैश्विक मान्यता प्राप्त विवादित क्षेत्र है. चीन एकतरफा यह नहीं स्वीकार करेगा कि यह भारत का हिस्सा है, जैसा कि नई दिल्ली को उम्मीद है. इसके अलावा, भारत के पास कई कांटेदार (Thorny Issues) मुद्दे हैं. जैसा कि धार्मिक मुद्दे और उत्तर-पूर्व भारत में हथियारबंद अलगाववादी. हालांकि, बीजिंग इन मुद्दों के साथ नई दिल्ली पर दबाव बनाने को तुच्छ समझता है.