गंगा-यमुना के पवित्र जल, Abu Dhabi के पहले हिंदू मंदिर में दिखेगी वाराणसी के घाट की झलक, पीएम मोदी ने किया उद्घाटन
Abu Dhabi First Hindu Temple: अबू धाबी में बना पहला हिंदू मंदिर उद्घाटन के लिए पूरी तरह से तैयार है. बता दें कि 14 फरवरी यानी आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे. मुस्लिम देश में बना ये मंदिर भारत के विभिन्न हिस्सों के योगदान से बना मंदिर है. जानें मंदिर की खासियत.
अबू धाबी में बना पहला हिंदू मंदिर
अबू धाबी में हिंदू मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो गया है और आज 14 फरवरी बुधवार के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर का उद्घाटन करने जा रहे हैं. यह अबू धाबी में बना पहला हिंदू मंदिर होगा, जिसमें हर कोना भारत से जुड़ा है. मंदिर में राजस्थान का पत्थर लगा है. वहीं गंगा-यमुना का पानी यहां बहता है.
इन लकड़ी से बना है फर्नीचर
मंदिर को लेकर बताया जा रहा है कि मंदिर में राजस्थान से गुलाबी बलुआ पत्थर लाया गया है. मंदिर के निर्माण में यहां के पत्थरों को इस्तेमाल किया गया है. वहीं, मंदिर में गंगा-यमुना का पवित्र जल बहता है. बताया जा रहा है कि भारत में जिन लकड़ी के बॉक्स में पत्थरों का लाया गया है, उन्हीं से मंदिर का फर्नीचर तैयार किया गया है.
आज पीए मोदी करेंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को ही अबू धाबी दो दिवसीय दौरे पर पहुंच गए हैं और आज बुधवार के दिन हिंदू मंदिर का उद्घाटन करेंगे. मंदिर के दोनों और गंगा-यमुना का पवित्र जल बह रहा है. बताया जा रहा है कि इन्हें बड़े-बड़े कंटेनरों में यहां लाया गया है. मंदिर परिसर द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक जहां गंगा का जल बहता है, वहां पर एक घाट के आकार का एम्फीथिएटर बनाया गया है.
वाराणसी घाट की मिलती है झलक
मंदिर के स्वयंसेवी ने बताया कि इसे लगाने के पीछे ये कारण है कि वे यहां वाराणसी के घाट की झलक दिखाना चाहते हैं. जहां लोग बैठ सकें. वहीं, जहन में भारत में बने घाटों की यादें ताजा हो जाएं. जब पर्यटक मंदिर में प्रवेश करेंगे, तो उन्हें जल की दो धारएं दिखाई देंगी, जो सांकेतिक रूप से गंगा-यमुना नदियों को दर्शाती हैं.
27 एकड़ में बना है ये मंदिर
बता दें कि दुबई-अबू धाबी शेख जायेद हाइवे पर अल रहबा के समीप स्थित बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) द्वारा निर्मित यह मंदिर करीब 27 एकड़ जमीन पर बनाया गया है. बलुआ पत्थर की पृष्ठभूमि पर उत्कृष्ट संगमरमर की नक्काशी है, जिसे राजस्थान और गुजरात के कुशल कारीगरों द्वारा 25,000 से अधिक पत्थर के टुकड़ों से तैयार किया गया है.
700 से ज्यादा कंटेनर का हुआ है इस्तेमाल
बताया जा रहा है कि मंदिर के निर्माण के लिए 700 से अधिक कंटेनरों में दो लाख घन फुट से अधिक पवित्र पत्थर लाए गए हैं. गुलाबी बलुआ पत्थर भारत से लाया गया, लेकिन पत्थर पर नक्काशी वहां के मूर्तिकारों ने की है.
मंदिर में दिखेगा भारत का अंश
बता दें कि लकड़ी के जिन बॉक्स और कंटेनर में पत्थरों को लाया गया, उन बॉक्स का इस्तेमाल मंदिर में फर्नीचर बनाने में किया गया है. मंदिर के कोने-कोने में भारत का अंश है.