Explainer: वह सूर्य ग्रहण जिसने अल्बर्ट आइंस्टीन को सदी का सबसे महान वैज्ञानिक बना दिया!

Albert Einstein Biography: अल्बर्ट आइंस्टीन ने युवावस्था में ही महानता के दरवाजे पर दस्तक दे दी थी. 1905 में आइंस्टीन के चार-चार ऐतिहासिक रिसर्च पेपर प्रकाश‍ित हुए. ये पेपर आगे चलकर आधुनिक भौतिकी का आधार बने. 1915 में आइंस्टीन ने सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत दिया. हालांकि, तब तक आइंस्टीन को विज्ञान के क्षेत्र से बाहर कम ही लोग जानते थे. फिर मई 1919 आया और एक सूर्य ग्रहण ने आइंस्टीन का नाम पूरी दुनिया में फैला दिया. एक झटके में ही आइंस्टीन की गिनती इतिहास के महानतम वैज्ञानिकों में होने लगी.

दीपक वर्मा Jul 05, 2024, 17:25 PM IST
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वो कंपास जिसने जगाई विज्ञान में दिलचस्पी

अल्बर्ट आइंस्टीन की उम्र चार या पांच साल रही होगी, जब पिता ने उनको एक छोटा सा कंपास दिखाया. आइंस्टीन कंपास के कांटे को इधर-उधर जाता देख सोच में पड़ गए. वह कौन सी अदृश्य ताकत है जो कांटे को इधर से उधर ले जा रही है? जिज्ञासा की कोंपलों में फूटा वह सवाल आइंस्टीन के लिए पूरी जिंदगी का सफर बन गया. ब्रह्मांड को समझना आइंस्टीन के लिए 'अमर पहेली' बन गया.

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29 मई, 1919 का सूर्य ग्रहण

वह सूर्य ग्रहण 29 मई, 1919 को पड़ा था. जैसे ही आसमान से बादल छंटे, 17वीं सदी से चली आ रही आइजैक न्यूटन की गुरुत्वाकर्षण की परिभाषा किसी काम की नहीं रही. सूर्य और चंद्रमा एक सीध में आए और ग्रहण लगा. तब तक जितने तारों की जानकारी थी, उनकी तस्वीरों ने उस बात की पुष्टि कर दी थी जिसकी भविष्यवाणी आइंस्टीन 'सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत' में कर चुके थे. वह भविष्यवाणी थी- सूर्य का गुरुत्वाकर्षण एक लेंस की तरह कार्य करता है और दूर स्थित तारों से आने वाले प्रकाश को विक्षेपित (deflect) कर देता है, जिससे वे नई जगहों पर दिखाई देने लगते हैं.

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पूरी दुनिया में छा गए आइंस्टीन

अगले कुछ महीनों के भीतर अल्बर्ट आइंस्टीन का नाम दुनियाभर में फैल गया. 7 नवंबर, 1919 को The Times of London ने खबर छापी- विज्ञान में क्रांति, ब्रह्मांड का नया सिद्धांत, न्यूटोनियन विचारों को उखाड़ फेंका गया'. उसके बाद तो मीडिया में आइंस्टीन को लेकर रातों रात ऐसी दिलचस्प जगी कि वह दुनिया के सबसे मशहूर वैज्ञानिक बन गए. आने वाले कुछ सालों में आइंस्टीन के सिद्धांतों ने भौतिक विज्ञान को नई दिशा दी.

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आइंस्टीन के पांच प्रमुख सिद्धांत

आइंस्टीन ने अपनी जिंदगी में 300 से ज्यादा साइंटिफिक पेपर लिखे. आज की तारीख में आइंस्टीन का नाम 'जीनियस' का पर्यायवाची बन चुका है. 1905 के चार पेपर्स में, आइंस्टीन ने 'सापेक्षता का विशेष सिद्धांत', E = mc2 समीकरण, ब्राउनियन गति और फोटोइलेक्ट्रिक इफेक्ट के बारे में बताया था.

फोटोइलेक्ट्रिक इफेक्ट वाले पेपर से क्वांटम थ्योरी की शुरुआत हुई. प्रकाश की क्वांटम थ्योरी के पीछे आइंस्टीन ही थे. 1916 में आइंस्टीन ने गुरुत्वाकर्षण तरंगों की भविष्यवाणी की. भारतीय भौतिक वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस के साथ मिलकर आइंस्टीन ने बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट का सिद्धांत दिया.

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1921 में मिला सबसे बड़ा सम्मान

आइंस्टीन ने सैद्धांतिक भौतिकी के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया. विज्ञान की दुनिया में उनके योगदानों और खासकर फोटोइलेक्ट्रिक इफेक्ट के नियम की खोज के लिए आइंस्टीन को 1921 में फिजिक्स के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. दूसरे विश्‍व युद्ध के समय, आइंस्टीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति को पत्र लिखकर परमाणु बम बनाने की दिशा में रिसर्च की अपील की. हालांकि, आइंस्टीन खुद परमाणु हथियारों के खिलाफ थे लेकिन नाजी जर्मनी के हाथों में ऐसा घातक हथियार नहीं पड़ने देना चाहते थे.

आइंस्टीन ने जिंदगी के आखिरी साल अमेरिका में गुजारे. 18 अप्रैल, 1955 को आइंस्टीन ने दुनिया को अलविदा कह दिया. 1999 में, दुनियाभर के 130 शीर्ष भौतिक वैज्ञानिकों ने अल्बर्ट आइंस्टीन को अब तक का सबसे महान भौतिक विज्ञानी माना था. 

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